भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने पिछले हफ्ते संसद में रखी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अप्रैल 2016 में रक्षा ख़रीद नीति में बदलाव किया गया था, जिसके तहत रफाल विमानों का निर्माण करने वाली कंपनी को सितंबर 2016 में अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के समय एक ऑफसेट पार्टनर घोषित करने की आवश्यकता नहीं थी.
रफाल बनाने वाली फ्रांस की दासो एविएशन और यूरोप की मिसाइल निर्माता कंपनी एमबीडीए ने विमान खरीद से संबंधित भारत को उच्च प्रौद्योगिकी की पेशकश के ऑफसेट दायित्वों को अब तक पूरा नहीं किया है. कैग ने कहा कि विक्रेता अपनी ऑफसेट प्रतिबद्धताओं को निभाने में विफल रहे, लेकिन उन्हें दंड देने का कोई प्रभावी उपाय नहीं है.
भारतीय वायुसेना में निरीक्षण और सुरक्षा के महानिदेशक ने अंबाला एयरफोर्स स्टेशन के पास स्थित इलाके में कूड़े के निस्तारण के लिए हरियाणा के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिसंबर 2019 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा सौंपी गई परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने केवल बारह रक्षा ऑफसेट सौदों की समीक्षा की है. रक्षा मंत्रालय ने ऑडिटर को रफाल ऑफसेट सौदे संबंधी कोई जानकारी होने से इनकार किया है.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिकाओं में दम नहीं है.
फ्रांस के राजदूत एलेक्ज़ेंड्रे ज़िगलर ने कहा कि विवाद में उनकी रुचि नहीं है. रफाल एक शानदार विमान है. इसे भारत ने चुना, जिससे हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं. यह भारतीय वायुसेना की क्षमता को और बढ़ाएगा.
पेरिस के पास भारतीय वायुसेना की रफाल परियोजना प्रबंधन टीम का दफ़्तर है. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या विमान से जुड़े गोपनीय डेटा चुराने की मंशा से यह घुसपैठ की कोशिश की गई.
रफाल सौदे को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका के संबंध में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफ़नामा दायर कर कहा गया कि अपुष्ट मीडिया रिपोर्ट्स से सौदे पर पुनर्विचार करने का आधार नहीं बनता.
फ्रांसीसी अख़बार ले मोंदे की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2015 में रफाल सौदे की घोषणा के बाद फ्रांस के अधिकारियों ने अनिल अंबानी समूह की एक कंपनी का 143.7 मिलियन यूरो का टैक्स माफ़ किया था.
जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि यदि ज़िम्मेदारी की गहरी समझ के बिना प्रेस द्वारा स्वतंत्रता का फायदा उठाया जाता है, तो यह लोकतंत्र को कमज़ोर कर सकता है. एक स्वतंत्र व्यक्ति को निडर होना ज़रूरी है.
याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार याचिका में 'द हिंदू' अखबार द्वारा प्रकाशित राफेल डील से संबंधित दस्तावेज पेश किए थे. इस पर आपत्ति जताते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ऐसी जानकारी को सुनवाई में शामिल नहीं किया जा सकता क्योंकि इन्हें ‘विशेषाधिकार’ का संरक्षण प्राप्त है.
गुरुवार को सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सौदे संबंधी दस्तावेज़ों पर विशेषाधिकार का दावा करते हुए कहा कि संबंधित विभाग की अनुमति के बगैर कोई इन्हें अदालत में पेश नहीं कर सकता, जिस पर याचिकाकर्ता और वकील प्रशांत भूषण ने सरकार की आपत्तियों को दुर्भावनापूर्ण बताया.
रक्षा सचिव संजय मित्रा द्वारा दाख़िल यह हलफ़नामा इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने छह मार्च को आरोप लगाया था कि पुनर्विचार याचिका उन दस्तावेज़ों पर आधारित है जो रक्षा मंत्रालय से चुराए गए हैं. हालांकि दो दिन बाद अपनी बात से पलटते हुए उन्होंने कहा था कि दस्तावेज़ चोरी नहीं हुए बल्कि उनकी फोटो कॉपी कराई गई.
द वायर से बात करते हुए द हिंदू के चेयरमैन और वरिष्ठ पत्रकार एन. राम ने रफाल सौदे और इसकी मीडिया कवरेज़ को लेकर मोदी सरकार की हालिया धमकियों पर अपनी राय साझा की.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल द्वारा ‘चोरी’ शब्द का इस्तेमाल संभवत: ज़्यादा सख़्त था और इससे बचा जा सकता था.