टीएमसी नेताओं के लगातार पार्टी छोड़ने के बीच ममता बनर्जी अपने प्रतिद्वंदियों से बुरी तरह घिरी नज़र आ रही हैं. भाजपा के आक्रामक हमलों के बीच ममता ने टीएमसी के गढ़ नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. क्या यह दांव उनके राजनीतिक विरोधियों को पस्त कर पाएगा?
पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में लगातार दूसरे दिन वृद्धि की गई है. इस सप्ताह चार बार में वाहन ईंधन के दाम एक रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं. इससे दिल्ली में पेट्रोल 85.70 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 92.28 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है.
55 वर्षीय महिला स्वास्थ्यकर्मी हरियाणा के गुड़गांव ज़िले के भांगरोला के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत थीं. उन्हें 16 जनवरी को कोविशील्ड का टीका लगा था. परिजनों का कहना है कि उन्हें संदेह है कि उनकी मौत टीका लगने की वजह से हुई है.
इससे पहले हिंदू दक्षिणपंथी और सिख संगठनों द्वारा ‘हलाल’ शब्द पर आपत्ति के बाद केंद्र सरकार की संस्था कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण द्वारा ‘हलाल’ शब्द को ‘रेड मीट मैनुअल’ से हटा दिया था.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि पिछले वर्ष के अंत में ब्रिटेन में सामने आए कोरोना वायरस के नए स्वरूप के बारे में जो शुरुआती साक्ष्य मिले हैं, उनसे पता चला है कि वायरस का यह स्वरूप कहीं अधिक घातक हो सकता है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि देश में लगाए जा रहे दो तरह के टीके वायरस के सभी स्वरूपों के लिहाज़ से प्रभावी हैं.
यह कार्यक्रम शुरुआत में 31 दिसंबर 2020 को होना था, लेकिन पुलिस द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था. 2017 में भीमा-कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरे होने के मौके पर एल्गार परिषद कार्यक्रम का आयोजन 31 दिसंबर को पुणे के शनिवारवाड़ा में किया गया था. इसके अगले दिन यहां हिंसा भड़क उठी थी.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को 90 से अधिक लोगों, अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों ने पत्र लिख कर कहा कि शारीरिक तौर पर अक्षम लड़कियों और महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटनाओं के काफी संख्या में दर्ज मामले होने के बावजूद एनसीआरबी इस तरह की हिंसा पर अलग से आंकड़े नहीं रखता है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के बीते 24 घंटे के दौरान 14,256 मामले सामने आने के बाद कुल मामले बढ़कर 10,639,684 हो गए हैं, वहीं विश्व में संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 9.8 करोड़ से ज़्यादा हो गए.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के सात ज़िलों में किसानों को कृषि बाज़ार मुहैया करवाने के उद्देश्य से 625.33 करोड़ रुपये ख़र्च कर ज़िला, तहसील और ब्लॉक स्तर पर कुल 138 मंडियां बनाई गई थीं. आज अधिकतर मंडियों में कोई ख़रीद-बिक्री नहीं होती, परिसरों में जंग लगे ताले लटक रहे हैं और स्थानीय किसान परेशान हैं.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में लोकतांत्रिक ढंग से असहमति की आवाज़ उठाने वालों का भविष्य ख़तरे में है. छात्र नेता नितिन राज सीएए के विरोध के लिए जेल में हैं. परिवार का कहना है उसको दलित होने की वजह से उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है. वहीं फ़ीस बढ़ाने को लेकर 2017 में मुख्यमंत्री का विरोध करने वाली छात्र नेता पूजा शुक्ला को जेल भेजा गया. लखनऊ यूनिवर्सिटी की पूर्व उप-कुलपति प्रो. रेखा वर्मा ने इसका का विरोध किया है.
वीडियो: देश में व्यभिचार यानी एडल्ट्री को जुर्म की श्रेणी से हटाए जाने के तीन साल बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि सेना में एडल्ट्री को जुर्म ही रहने दिया जाए. सरकार का कहना है कि इससे सेना में अनुशासन के पालन पर असर पड़ता है.
जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद आरोप लगाया है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में उनके ख़िलाफ़ विद्वेषपूर्ण मीडिया अभियान चलाया गया. याचिका में दावा किया गया है कि मीडिया रिपोर्टों में उनके एक कथित बयान से यह बताने की कोशिश की जा रही है कि उन्होंने दंगों में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली है. यह निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकार के प्रति पूर्वाग्रह है.
मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स ज़िले में एक अवैध कोयला खदान में एक यांत्रिक ढांचा ढहने से छह खनिकों की मौत हो गई. वहीं, झारखंड के कोडरमा ज़िले में अवैध रूप से संचालित अभ्रक खदान के धंस जाने से छह मजदूर दब गए थे, जिसमें से चार की मौत हो गई.
शुक्रवार रात सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने एक युवक को पकड़ा, जिसने दावा किया कि दो लड़कियों सहित कुल दस लोगों को आंदोलन और गणतंत्र दिवस पर होने वाले ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा भड़काने का काम दिया गया था. युवक ने यह भी कहा कि चार किसान नेताओं की हत्या की साज़िश रची गई है.
पिछले कई दौर की बातचीत के विपरीतइस बार अगली बैठक की कोई तारीख़ तय नहीं हुई है. केंद्र के नए कृषि क़ानूनों के विरोध में लगभग दो महीने से हज़ारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका मानना है कि संबंधित क़ानून किसानों के ख़िलाफ़ और कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में हैं.