15 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र से पूर्व सरकार ने गुरुवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
अन्ना बोले, दोनों उद्योगपतियों के हिसाब से काम करते हैं. इस बार किसान के हित में सोचने वाली सरकार चाहिए. देश में 22 साल में 12 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
बीसियों साल से जिस तरह की विभाजनकारी राजनीति हो रही है, मीडिया के सहयोग से जिस तरह समाज में ज़हर बोया जा रहा है, उसकी फसल अब लहलहाने लगी है.
जन गण मन की बात की 162वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री के गुजरात चुनाव प्रचार और वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक पर चर्चा कर रहे हैं.
गुजरात चुनाव राउंडअप: वामदल और जदयू ने कहा, मोदी मुद्दों के बजाय गुजरात में पाकिस्तान के दख़ल की बात करते हैं, आरोप में दम है तो उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए.
राज्य के मौजूदा राजनीतिक विमर्श में रोज़गार और नौकरी को लेकर उठी आवाज़ें दब-सी गयी हैं. पूरा चुनाव प्रचार षड्यंत्रों की उल्टी-सीधी दास्तानों और ध्रुवीकरण पर आधारित हो गया है.
यह कैसा समाज है जहां जीवित इंसान की कोई कीमत नहीं पर मृत व्यक्ति के सम्मान की रक्षा के नाम पर लोग सड़क पर उतर आते हैं, तोड़-फोड़ करते हैं, यहां तक कि हिंसा करने से भी नहीं चूकते.
चुनावी बांड में राजनीतिक दल को दान देने वाले के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी. ये बांड 1,000 और 5,000 रुपये मूल्य के होंगे.
फारूक़ अब्दुल्ला ने संघ को दी उन्माद से बचने की नसीहत, कहा- धार्मिक आधार पर देश को बांटने का चलन राष्ट्रहित के लिए घातक. इधर आरएसएस के भैयाजी जोशी ने कहा, हिंदुत्व से बदलेगा समाज.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि प्रस्तावित वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक को लेकर अफ़वाह फैलाई जा रही है.
ट्रेनों में यात्रा करने वाले अक्षम लोगों को समान अवसर देने के लिए रेलवे द्वारा नियुक्त समिति की सिफारिशों को लागू नहीं करने को लेकर भी दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाराज़गी प्रकट की.
सवाल है कि क्या हमारे नेता नौकरशाही में अपने समर्थ सहयोगियों की मिलीभगत के बग़ैर ही अकूत काला धन जमा करने और तरह-तरह के अपराध करने में कामयाब हो जाते हैं?
मीडिया बोल की 27वीं कड़ी में उर्मिलेश, वरिष्ठ पत्रकार आरती जेरथ और पूर्णिमा जोशी के साथ गुजरात चुनाव के मीडिया कवरेज पर चर्चा कर रहे हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के समय भी जीत की अनिश्चितता के चलते भाजपा नेताओं ने ऐसी ही चुनावी रणनीति अपनायी थी.
पांच बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित अभिनेता प्रकाश राज ने कहा कि अगर एक आवाज़ दबाई जाएगी तो और ज़्यादा मज़बूत आवाज़ें सामने आएंगी.