सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर उपासना स्थल अधिनियम, 1991 को चुनौती दी है, जिसके तहत राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को छोड़कर अन्य धार्मिक स्थल से संबद्ध ऐसे किसी भी विवाद को अदालत नहीं लाया जा सकता. लखनऊ की 350 साल पुरानी टीलेवाली मस्जिद से जुड़े वसीफ़ हसन ने इसे चुनौती दी है.
अयोध्या के निर्वाणी अखाड़े के प्रमुख महंत धर्मदास ने गृह मंत्रालय को नोटिस भेजते हुए कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बना ट्रस्ट ग़ैर क़ानूनी और शीर्ष अदालत के फ़ैसले के विपरीत है. अगर केंद्र सरकार ने अदालत के निर्देशों के अनुसार इसका गठन व नियमन नहीं किया, तो वे क़ानून की मदद लेंगे.
सुप्रीम कोर्ट भी विवादित भूमि रामलला को देते हुए यह नहीं सोचा कि उसका फ़ैसला न सिर्फ छह दिसंबर, 1992 के ध्वंस बल्कि 22-23 दिसंबर, 1949 की रात मस्जिद में मूर्तियां रखने वालों की भी जीत होगी. ऐसे में अदालत का इन दोनों कृत्यों को ग़ैर-क़ानूनी मानने का क्या हासिल है?
बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद में ‘सार्वजनिक शांति और सौहार्द’ बनाए रखने के लिए विवादित ज़मीन को न बांटने का जजों का निर्णय बहुसंख्यक दबाव से प्रभावित लगता है, जिसमें मुस्लिम पक्षकारों के क़ानूनी दावे को नज़रअंदाज़ कर दिया गया.
साक्षात्कार: प्रख्यात इतिहासकार डीएन झा से बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद, इससे जुड़े ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सांप्रदायिक पहलुओं पर बातचीत.
वीडियो: हम भी भारत की इस कड़ी में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और इसके राजनीतिक मायनों पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद से चर्चा कर रही हैं.
वीडियो: बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का नजरिया.
इस मामले पर फ़ैसला देते हुए शीर्ष अदालत की संवैधानिक पीठ ने कहा कि मुस्लिम वादी यह साबित नहीं कर सके हैं कि 1528 से 1857 के बीच मस्जिद में नमाज़ पढ़ी जाती थी और इस पर उनका विशिष्ट अधिकार था. हालांकि हिंदू पक्षकारों के भी यह प्रमाणित न कर पाने पर उन्हें ज़मीन का मालिकाना हक़ दे दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक कुमार गांगुली ने बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि संविधान के लागू होने के बाद वहां पहले क्या था, यह सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी नहीं है. उस समय भारत कोई लोकतांत्रिक गणतंत्र नहीं था. अगर हम इस तरह बैठकर फैसला देंगे तो बहुत सारे मंदिर, मस्जिद और अन्य ढांचों को तोड़ना पड़ेगा.
राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद पर अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बाबरी मस्जिद गिराया जाना एक सोचा समझा कृत्य था. 1992 में बाबरी विध्वंस मामले की जांच लिए बने लिब्राहन आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इसे योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था.
वीडियो: रामजन्मभूमि न्यास को मिलेगा 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक़. मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर बनाना होगा ट्रस्ट. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को अयोध्या में ही पांच एकड़ ज़मीन दी जाएगी. इस मुद्दे पर द वायर के सह संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन से चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
राम जन्मभूमि आंदोलन के शिल्पकार एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ ज़मीन अलग से देने के फैसले का भी स्वागत किया.
अयोध्या ज़मीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर परिस्थिति में संविधान और न्याय प्रणाली पर विश्वास बनाए रखना चाहिए. समाधान निकलने में भले ही कुछ समय लगे लेकिन फिर भी धैर्य बनाकर रखना ही सर्वोचित है.
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि फैसला हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं, लेकिन हम निर्णय को मानते हैं.
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद काशी और मथुरा के धार्मिक स्थलों को लेकर विहिप की आगामी योजना के बारे में पूछे जाने पर विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने कहा कि बाकी विषयों पर समाज के रुख को राम मंदिर निर्माण के बाद देखा जाएगा.