जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती को रिहा किए जाने के बजाय उन्हें उनके घर में स्थानांतरित करने के आदेश का पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विरोध करते हुए उनकी रिहाई की मांग की है.
जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा श्रीनगर की सेंट्रल जेल में पीएसए के तहत बंद 14 कैदियों की रिहाई समेत कुल 31 कैदियों पर लगा पीएसए हटाया गया है.
पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से उमर अब्दुल्ला ने 232 दिन हिरासत में गुजारे. इससे पहले फारूक अब्दुल्ला को 13 मार्च को रिहा कर दिया गया था. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को अभी भी जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में रखा गया है.
कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने सात महीने से अधिक समय तक नज़रबंद रखे जाने के बाद रिहा किए गए फ़ारूक़ अब्दुल्ला से मुलाकात के बाद कहा कि जम्मू कश्मीर की प्रगति के लिए अन्य नेताओं को भी रिहा किया जाना चाहिए और उन्हें पिंजड़े में तोते की तरह नहीं रखना चाहिए.
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने और इसे दो राज्यों में बांटने के फैसले के बाद पिछले सात महीने से ज़्यादा समय से पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला हिरासत में थे.
बीते अगस्त में केंद्र सरकार के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और केंद्र शासित प्रदेश बनाकर दो हिस्सों में बांटने के फ़ैसले के पहले से तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कई स्थानीय नेता हिरासत में हैं.
जन सुरक्षा कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी सुनवाई के तीन महीने से दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है.
कांग्रेस, द्रमुक और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने नेशनल कान्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला को जनसुरक्षा क़ानून के तहत हिरासत में रखे जाने का विरोध करते हुए लोकसभा अध्यक्ष से उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश देने का अनुरोध किया.
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन पीडीपी के राज्यसभा सदस्यों ने कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल किए जाने की मांग करते हुए विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने का विरोध किया. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती 5 अगस्त से नज़रबंद हैं.
वहीं गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसद की स्थायी समिति को बताया कि हिरासत में लिए गए जम्मू कश्मीर के नेताओं को रिहा किया जा रहा है और बाकियों को भी रिहा कर दिया जाएगा. हालांकि उन्होंने इसकी कोई समयसीमा नहीं बताई.
जम्मू कश्मीर से अनुछेद 370 हटने के 100 दिन पूरे हो गए हैं. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के विरोध में प्रदर्शन कर रहीं इन महिलाओं को सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में लेकर श्रीनगर केंद्रीय जेल में रखा गया है.
द वायर के साथ एक विशेष साक्षात्कार में सफ़िया अब्दुल्ला ख़ान ने बताया कि उनके पिता फ़ारूक़ अब्दुल्ला पर पीएसए लगाए जाने से पूरा परिवार हैरान है.
राज्यसभा सदस्य और एमडीएमके नेता वाइको ने अपनी हैबियस कॉर्पस याचिका में पिछले चार दशकों से ख़ुद को जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला का क़रीबी दोस्त बताते हुए कहा था कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता को अवैध तरीके से हिरासत में रखकर उन्हें संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया गया है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला के ख़िलाफ़ जन सुरक्षा क़ानून के तहत दर्ज मामले में उन पर आतंकवादियों और अलगाववादियों का महिमामंडन करने वाले बयान देने का आरोप लगाया गया है.