नूरजहां: गाएगी दुनिया गीत मेरे…

मंटो नूरजहां को लेकर कहते थे, 'मैं उसकी शक्ल-सूरत, अदाकारी का नहीं, आवाज़ का शैदाई था. इतनी साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ आवाज़, मुर्कियां इतनी वाज़िह, खरज इतना हमवार, पंचम इतना नोकीला! मैंने सोचा अगर ये चाहे तो घंटों एक सुर पर खड़ी रह सकती है, वैसे ही जैसे बाज़ीगर तने रस्से पर बग़ैर किसी लग्ज़िश के खड़े रहते हैं.'

यह धर्मांधता को पहचानने का वक़्त है

तनिष्क का विज्ञापन इस बात का संकेत है कि सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता की भारतीय भावना जीवित है. यह समय अपने खोल में छिपने और सिर झुकाकर चलने की जगह भारत के असली मूल्यों को दिखाने वाले विज्ञापन और फिल्में बनाने और धर्मांधों को यह दिखाने का है कि नफ़रत का उनका प्रोपगेंडा कामयाब नहीं होगा.

देश के मौजूदा हालात देखकर लगता है कि हम सेकुलरिज़्म से दूर जा रहे हैं: सैफ़ अली ख़ान

अपनी हालिया फिल्म तानाजी को लेकर अभिनेता सैफ़ अली ख़ान ने कहा कि एक अभिनेता के रूप में फिल्म में उनका किरदार बहुत अच्छा है, लेकिन फिल्म में जो दिखाया गया है, वो इतिहास नहीं है. अंग्रेज़ों के आने से पहले ‘इंडिया’ का कोई कॉन्सेप्ट नहीं था.