शिक्षाविदों, यूरोपीय संघ के सांसदों, नोबेल पुरस्कार विजेताओं और अन्य अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भारतीय जेलों में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की दयनीय स्थिति और उचित मेडिकल देखरेख न होने पर चिंता जताते हुए कहा है कि उन्हें कोरोना वायरस के नए और अधिक घातक स्ट्रेन से संक्रमित होने का गंभीर ख़तरा है.
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख कर कहा है कि निचली अदालत के जज उनके ख़िलाफ़ 2019 की चार्जशीट का संज्ञान लेने के लिए अधिकृत नहीं है.
एक जेल अधिकारी ने बताया कि मुंबई की तलोजा केंद्रीय जेल में बंद एल्गार परिषद मामले में आरोपी महेश राउत, सागर गोरखे और रमेस गाइचोर कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए. बीते मई महीने में सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी और दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू संक्रमित पाए गए थे.
आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी उन 16 अधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और शिक्षाविदों में से हैं, जिन्हें एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार किया गया. बीते अक्टूबर में हिरासत में लिए गए स्वामी को बीते दिनों हाईकोर्ट के आदेश के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया है, जहां वे कोविड संक्रमित पाए गए.
एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू को मई में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में उन्हें मुंबई के जीटी अस्पताल रेफर किया गया था और अब ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है.
स्टेन स्वामी उन 16 शिक्षाविदों, वकील और कार्यकर्ताओं में से एक हैं, जिन्हें एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ़्तार किया गया था. उन पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं समेत कठोर यूएपीए क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इंसान की आज़ादी सबसे ऊपर है. जो ज़मानत एक टीवी कार्यक्रम करने वाले का अधिकार है, वह अधिकार गौतम नवलखा या फादर स्टेन का क्यों नहीं, यह समझ के बाहर है. अदालत कहेगी हम क्या करें, आरोप यूएपीए क़ानून के तहत हैं. ज़मानत कैसे दें! लेकिन ख़ुद पर यह बंदिश भी खुद सर्वोच्च अदालत ने ही लगाई है.
एनआईए ने पिछले साल अक्टूबर में भीमा कोरेगांव हिंसा-एल्गार परिषद मामले में 84 वर्षीय स्टेन स्वामी को गिरफ़्तार किया था. मामले की पिछली सुनवाई में स्वामी ने सरकारी अस्पताल में भर्ती होने की अदालत की सलाह से इनकार करते हुए कहा था कि वह भर्ती नहीं होना चाहते, उसकी जगह कष्ट सहना पसंद करेंगे और संभवत: स्थितियां जैसी हैं, वैसी रहीं तो जल्द ही मर जाएंगे.
एनआईए ने पिछले साल अक्टूबर में भीमा कोरेगांव हिंसा-एल्गार परिषद मामले में 84 वर्षीय स्टेन स्वामी को गिरफ़्तार किया था.स्वामी ने सरकारी अस्पताल में भर्ती होने की सलाह से इनकार करते हुए कहा कि वह भर्ती नहीं होना चाहते, उसकी जगह कष्ट सहना पसंद करेंगे और संभवत: स्थितियां जैसी हैं, वैसी रहीं तो जल्द ही मर जाएंगे. उन्होंने कहा कि जो दवाइयां वे दे रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा मजबूत मेरी गिरती हालत है.
भीमा कोरेगांव हिंसा-एल्गार परिषद मामले में 84 वर्षीय कार्यकर्ता स्टेन स्वामी के ख़िलाफ़ आईपीसी की विभिन्न धाराओं समेत कठोर यूएपीए क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. पिछले साल एनआईए ने उन्हें गिरफ़्तार किया था. पार्किंसन जैसी बीमारी से जूझने के बावजूद उनकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी गई थी.
भीमा-कोरेगांव हिंसा और एल्गार परिषद सम्मेलन के संबंध में साल 2018 से अब तक 15 अधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया है. इनके परिजनों ने कोविड-19 की दूसरी लहर को देखते हुए इनकी रिहाई की मांग करते हुए कहा है कि ये सभी लोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं और उनमें से एक कार्यकर्ता को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है.
गौतम नवलखा ने मांग की थी कि चार्जशीट दायर करने की समयमीमा में साल 2018 में उनकी 34 दिनों की ग़ैर क़ानूनी हिरासत को भी शामिल किया जाना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया.
केरल के चार सांसदों और दो विधायकों समेत अकादमिक जगत के लोगों तथा कार्यकर्ताओं की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेनी बाबू को कोरोना वायरस से बचाने के लिए ये क़दम उठाने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि भीमा कोरेगांव मामले में उन्हें ग़लत तरीके से फंसाया गया है.
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से मिले पत्रों के आधार पर विल्सन समेत पंद्रह कार्यकर्ताओं पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे. इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की जांच करने वाले अमेरिकी फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग का कहना है कि इन्हें एक साइबर हमले में विल्सन के लैपटॉप में डाला गया था.
एल्गार परिषद मामले में अक्टूबर 2020 में हिरासत में लिए गए 84 वर्षीय स्टेन स्वामी पार्किंसन समेत कई बीमारियों से पीड़ित हैं. मेडिकल आधार पर उनकी ज़मानत याचिका ख़ारिज होने के विरोध में जारी बयान में कहा गया है कि वे उन हज़ारों विचाराधीन क़ैदियों के प्रतीक हैं जो सालों से यूएपीए के फ़र्ज़ी आरोपों में जेल में हैं.