विशेष रिपोर्ट: भोपाल के पीपुल्स अस्पताल पर आरोप है कि उसने गैस त्रासदी के पीड़ितों समेत कई लोगों पर बिना जानकारी दिए कोरोना की वैक्सीन के ट्रायल किए, जिसके बाद तबियत बिगड़ने पर उनका निशुल्क इलाज भी नहीं किया गया. अस्पताल और स्वास्थ्य मंत्री ने ऐसा होने से इनकार किया है.
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के हित में काम करने वाले संगठनों का आरोप है कि ये मौतें भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के आइसोलेशन वार्ड में हुईं. यह भी आरोप है कि मौत इसलिए हुई क्योंकि वार्ड में किसी भी डॉक्टर की पूर्णकालिक ड्यूटी नहीं लगाई गई थी.
भोपाल गैस पीड़ितों के लिए काम रहे चार एनजीओ ने शहर में कोविड-19 से हुई मौतों पर जारी रिपोर्ट में बताया है कि 11 जून तक भोपाल में कोरोना से 60 मौतें हुई थीं, जिनमें से 48 गैस पीड़ित थे.
गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले भोपाल ग्रुप ऑफ इंफॉर्मेशन एंड एक्शन और संभावना ट्रस्ट ने भोपाल में अब तक हुई कुल मौतों में से 36 की जानकारी निकाली है, जिसमें सामने आया है कि इनमें से बत्तीस गैस पीड़ित हैं. संगठनों का दावा है कि गैस जनित दुष्प्रभावों के चलते कोरोना का पीड़ितों पर गंभीर असर हो रहा है. इसके बावजूद सरकार इनके लिए आवश्यक क़दम उठाने में कोताही बरत रही है.
भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से इस्तीफ़ा देने वाले डॉक्टर प्रमोशन नही मिलने से नाराज़ हैं. अस्पताल की निदेशक ने कहा कि डॉक्टरों की मांग पर ग़ौर किया जा रहा है.
जब्बार भाई का जाना भोपाल गैस पीड़ितों के संघर्ष को एक ऐसी क्षति है, जिससे उबरना बहुत मुश्किल होगा.