लॉकडाउन में बढ़ती घरेलू हिंसा: आपदा के समय महिलाओं के लिए एक और इम्तिहान

कोरोना संकट के दौरान देश-विदेश से महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती घरेलू हिंसा की ख़बरें आ रही हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच घर में बंद रहने के अलावा कोई चारा भी नहीं है. लेकिन अफ़सोस कि टीवी पर आ रहे निर्देशों में पारिवारिक हिंसा पर जागरूकता के संदेश नदारद हैं. महिलाओं पर पड़े कामकाज के बोझ को भी चुटकुलों में तब्दील किया जा चुका है.

लॉकडाउन के दौरान दुनियाभर में घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी चिंता की बात: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि हिंसा महज़ रणक्षेत्र तक ही सीमित नहीं है और कई महिलाओं व लड़कियों के लिए सबसे ज़्यादा ख़तरा तब होता है जब उन्हें अपने घरों में सबसे सुरक्षित होना चाहिए.

लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा, प्रताड़ना की घटनाएं बढ़ींः राष्ट्रीय महिला आयोग

राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के 69, विवाहित महिलाओं की प्रताड़ना के 15, दहेज की वजह से हत्या के दो और बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के 13 मामले दर्ज हुए हैं.

तीन तलाक़ देने के बाद कथित तौर पर महीने भर भूखा-प्यासा रखा, मौत के बाद दहेज हत्या का केस दर्ज

उत्तर प्रदेश के बरेली शहर का मामला. मई में मुक़दमा दर्ज करने के बाद ससुराल पक्ष के छह आरोपियों को गिरफ़्तार नहीं किया जा सका. बड़ी बहन ने आरोप लगाया कि केस दर्ज करने के बाद भी पुलिस ने बयान दर्ज नहीं किया.