महाराष्ट्रः ठाणे में टैक्सी ड्राइवर के साथ मारपीट, जबरन ‘जय श्री राम’ के नारे लगवाए गए

मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. यह घटना महाराष्ट्र के ठाणे में 24 जून को उस समय हुई, जब मुस्लिम टैक्सी ड्राइवर सवारी को लेकर लौट रहा था और बीच रास्ते में उसकी टैक्सी खराब हो गई.

‘उन्होंने मुझसे जबरदस्ती जय श्री राम बुलवाया, ये बात पुलिस ने एफआईआर से गायब कर दी’

बीते हफ्ते पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर 'जय श्री राम' न कहने पर ट्रेन से फेंके गए मदरसा शिक्षक मोहम्मद शाहरुख का दावा है कि उनके द्वारा हमला करने वाले लोगों और उनके संगठन के बारे में पुलिस को बताने के बावजूद किसी आरोपी को गिरफ़्तार नहीं किया गया है.

झारखंड मॉब लिंचिंग: अमेरिकी संस्था ने तबरेज अंसारी की हत्या की निंदा की

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने बीते 21 जून को जारी किए गए रिपोर्ट में कहा था कि भारत में 2018 में गायों के व्यापार या गोवध की अफवाह पर अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर, मुसलमानों के खिलाफ चरमंपथी हिंदू समूहों ने हिंसा की है.

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा- धार्मिक स्वतंत्रता से समझौता हुआ तो बदतर हो जाएगी दुनिया

बीते 21 जून को अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में गायों के व्यापार या गोवध की अफवाह पर अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर, मुसलमानों के खिलाफ चरमंपथी हिंदू समूहों ने हिंसा की है.

राजनीतिक समाज का नया हथियार बनता जय श्री राम

क़ानून का राज होने के बाद भी भीड़ का राज क़ायम है. इस भीड़ को धर्म, जाति और परंपरा के नाम पर छूट मिली है. किसी औरत को डायन बताकर मार देती है, जाति तोड़कर शादी करने वालों की हत्या कर देती है. इसी कड़ी में अब यह शामिल हो गया है कि अपराध करने वाला या झगड़े की ज़द में आ जाने वाले मुसलमान को जय श्री राम के नाम पर मार दिया जाएगा.

मायावती ने किया ऐलान, सभी चुनाव अकेले लड़ेगी बसपा

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने सोमवार को कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन एक बड़ी भूल थी. सपा की कमजोरी की वजह से नतीजे सोच के अनुसार नहीं आए. यहां तक कि चुनाव जीतने के बाद अखिलेश ने मुझे फोन तक नहीं किया.

भारत में हिंसक हिंदू चरमपंथी समूहों द्वारा अल्पसंख्यकों पर हमले जारी हैं: अमेरिकी रिपोर्ट

भारत ने अमेरिका की इस रिपोर्ट को खारिज किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि एक विदेशी संस्था द्वारा हमारे नागरिकों के संविधान संरक्षित अधिकारों की स्थिति पर टिप्पणी करने का कोई औचित्य नहीं है.

‘धर्म की कोई बात नहीं है, जो दरिंदा है उसे सज़ा हो, किसी बेगुनाह को नहीं’

ग्राउंड रिपोर्ट: अलीगढ़ के टप्पल में ढाई साल की बच्ची की नृशंस हत्या के बाद क़स्बे में तनाव का माहौल है. जहां आरोपियों के मुसलमान होने के चलते घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है, वहीं स्थानीयों का कहना है कि हिंदू-मुसलमान साथ मिलकर बच्ची के लिए इंसाफ़ की लड़ाई लड़ेंगे.

क्या हिंदुत्ववादियों का भारतीय मुसलमानों को लेकर फैलाया गया झूठ हक़ीक़त में बदल सकता है

2014 के बाद से बिना किसी प्रमाण के देश के मुसलमानों को हिंदू-विरोधी और धार्मिक रूप से कट्टरपंथी बताया जा रहा है. लेकिन डर है कि अगले पांच सालों में उनमें से कुछ ऐसे चुनाव कर सकते हैं, जो उनके समुदाय के बारे में गढ़े गए झूठ को वास्तविकता में बदल देंगे.

क्या 2019 की नरेंद्र मोदी सरकार 2014 की सरकार से अलग होगी?

क्या नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार जल्द ही उन्हें हासिल जनादेश की ग़लत व्याख्या करने और उसको अपनी सारी कारस्तानियों पर जनता की मुहर मान लेने की ग़लती करने लगेगी?

क्या भाजपा की जीत को ‘भारत की जीत’ कहा जा सकता है?

नरेंद्र मोदी की जीत का भारत के लिए क्या अर्थ निकलता है? एक हद तक यह उन्हें और भाजपा को दावा करने का मौका देता है कि पिछले पांच सालों में उन्होंने जो कुछ भी किया है, उसके प्रति जनता ने अपना विश्वास जताया है. पर क्या यह सच है?

कांग्रेस की मौत की कामना करना कितना उचित है?

पिछले पांच साल से देश को कांग्रेसमुक्त करने का आह्वान भाजपा नेताओं के द्वारा किया जाता रहा है, लेकिन न सिर्फ यह कि वह अप्रासंगिक नहीं हुई, बल्कि इस चुनाव में भी भाजपा के लिए वही संदर्भ बिंदु बनी रही. जनतंत्र की सबसे अधिक दुहाई देनेवाले समाजवादियों को जनसंघ या भाजपा के साथ कभी वैचारिक या नैतिक संकट हुआ हो, इसका प्रमाण नहीं मिलता.

क्या बनारस में बुनकरों के लिए प्रधानमंत्री मोदी का अच्छे दिन लाने का वादा जुमला साबित हुआ?

ग्राउंड रिपोर्ट: नरेंद्र मोदी ने बनारस में बुनकरों से जुड़े कई वादे किए थे लेकिन पांच साल बाद स्थानीय बुनकर अच्छे दिनों के नारे और वादे के बीच ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

फिलिस्तीनियों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाना हिंसा के प्रति दुनिया की बेपरवाही का सबूत है

फिलीस्तीन के ज़ख़्म से ख़ून धीरे-धीरे रिस रहा है, लेकिन वह हमारी आत्माओं को नहीं छूता. जिस तरह दुनिया का हर मुल्क इस्राइल के साथ गलबहियां करने में एक दूसरे से प्रतियोगिता कर रहा है, उससे यह साबित होता है कि फिलिस्तीनियों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है.

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