मामला अलीगढ़ का है, जहां एक हिंदू परिवार ने जलेसर के पीर बाबा में आस्था के चलते अपने घर में दो छोटी मज़ार बनाई हुई थीं. बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा 'हिंदुओं के धर्मांतरण की साज़िश रचने' का आरोप लगाने के बाद इन्हें हटा दिया गया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों को केवल क्लीनिकल और मेडिकल ड्यूटी के लिए तैनात किया जाना चाहिए. उन्हें प्रशासनिक या प्रबंधन कार्यों के लिए तैनात नहीं किया जाना चाहिए. इसके बजाय उनकी जगह एमबीए डिग्री धारकों की नियुक्ति करनी चाहिए. डॉक्टरों का कहना है कि वे सेवा के लिए मरने को तैयार हैं, लेकिन सम्मान का त्याग करने के लिए तैयार नहीं हैं.
घटना महोबा की है, जहां हाल ही में ग्राम प्रधान बनीं एक दलित महिला ने आरोप लगाया है कि गांव के पंचायत भवन में ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वहां मौजूद कुछ लोगों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. उन्हें कुर्सी से उतरने को कहते हुए जातिसूचक टिप्पणियां भी की गईं.
स्थानीय शहरी निकायों के प्रतिनिधियों के साथ ऑनलाइन बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार ने आवारा मवेशियों की समस्या कम करने के प्रयास किए हैं लेकिन इसे लेकर समाज को जागरूक करने की ज़रूरत है ताकि परिवार गायों को गोद ले सकें.
मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के दर्शनशास्त्र पाठ्यक्रम में रामदेव की योग चिकित्सा रहस्य सहित चुनिंदा किताबों को शामिल किया गया है. यह किताब बीमारी से लड़ने में योग के महत्व पर है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की किताब हठयोगः स्वरूप एवं साधना भी पाठ्यक्रम में शामिल की गई है.
उत्तर प्रदेश और असम में पुलिस महानिदेशक रहे प्रकाश सिंह ने कहा है कि अगर समय रहते पुलिस व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो लोकतंत्र को काफ़ी नुकसान होगा. देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास के लिए ज़रूरी है कि पुलिस सुधार हों. आधुनिक भारत के लिए आवश्यक है कि पुलिस भी आधुनिक हो.
रामपुर का मामला. पीड़ित किशोरी की मां ने शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि उनकी बेटी ने बताया कि उनके घर के पास रहने वाले एक युवक ने कुछ महीने पहले उसका बलात्कार किया था, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई थी. आरोपी युवक के परिवार ने पीड़िता का जबरन गर्भपात करा दिया था. मामले में आरोपी युवक, उसकी मां और बड़े भाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश को सलाह के तौर पर लेना चाहिए और उसे लागू करने के लिए हरसंभव क़दम उठाने चाहिए. उत्तर प्रदेश के मेरठ जैसे शहर के एक मेडिकल कॉलेज में इलाज की बुरी स्थिति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि शहरों का यह हाल है तो छोटे शहरों और गांवों के संबंध में राज्य की संपूर्ण चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे ही कही जा सकती है.
पिछले साल उत्तर प्रदेश सरकार के दो मंत्री- चेतन चौहान और कमल रानी वरुण का निधन भी कोविड-19 की वजह से हुआ था. इसके अलावा महामारी की दूसरी लहर के दौरान भाजपा के चार विधायक- दल बहादुर कोरी, केसर सिंह गंगवार, सुरेश कुमार श्रीवास्तव और रमेश चंद्र दिवाकर की मौत हो चुकी है. इस बीच राजस्थान के कोरोना संक्रमित भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा का भी निधन हो गया है.
मेरठ ज़िला अस्पताल में भर्ती एक मरीज़ की मौत के बाद शव का निस्तारण ‘अज्ञात’ में कर देने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की. अदालत की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य में स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं है और अगर महामारी की तीसरी लहर आती है तो उत्तर प्रदेश इसके लिए तैयार है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस की स्थिति इतनी बुरी है कि भाजपा के एक विधायक ने अपनी ही पार्टी की सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि वह बहुत अधिक कहने से डरते हैं, क्योंकि इससे उनके ख़िलाफ़ देशद्रोह का आरोप लग सकता है. वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि महामारी की दूसरी लहर नियंत्रण में है.
मोदी सरकार द्वारा कोरोना वायरस को लेकर बनाए गए वैज्ञानिक सलाहकार समूह के अध्यक्ष शाहिद जमील ने पिछले कुछ महीनों में कई बार इस बात को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की थी कि कोरोना संक्रमण को लेकर नीतियां बनाते वक़्त विज्ञान को तरजीह नहीं दी जा रही है, जो अत्यधिक चिंता का विषय है.
कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान दवा, ऑक्सीजन आदि की कमी जानलेवा साबित हो रही है, लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है, जिसे अस्पताल की चौखट और इलाज तक सहज पहुंच भी मयस्सर नहीं है.
इस कठिन वक़्त में सरकारों की काहिली तो अपनी जगह पर है ही, लोगों का आदमियत से परे होते जाना भी पीड़ितों की तकलीफों में कई गुनी वृद्धि कर रहा है. इसके चलते एक और बड़ा सवाल विकट होकर सामने आ गया है कि क्या इस महामारी के जाते-जाते हम इंसान भी रह जाएंगे?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह ज़िले गोरखपुर और आस-पास के तीन ज़िलों- देवरिया, महराजगंज और कुशीनगर में कोरोना की दूसरी तीव्र लहर के बीच स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बुरे हाल हैं. प्रदेश सरकार स्थिति नियंत्रण में होने की बात कह रही है, लेकिन ख़ुद सरकारी आंकड़े इसके उलट इशारा कर रहे हैं.