18 जून 2020 को द वायर द्वारा 'बोधघाट पनबिजली परियोजना: जंगल उजाड़कर जंगल के कल्याण की बात' शीर्षक से प्रकाशित लेख पर छत्तीसगढ़ शासन की ओर से सवाल उठाए गए थे. उनका जवाब.
बीते दिनों केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दंतेवाड़ा के पास इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित पनबिजली परियोजना को पर्यावरणीय मंज़ूरी दी है. हालांकि इसके लिए चिह्नित ज़मीन पर वन्य प्रदेश और आदिवासियों की रिहाइश होने के चलते इसके उद्देश्य पर सवाल उठ रहे हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वन विभाग को नोडल एजेंसी बनाए जाने पर आदिवासी कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने कड़ी आपत्ति जताई थी.
पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के अभिजात्य और शासक वर्गों में पर्यावरण और सामाजिक-नागरिक प्रतिरोध के केंद्र के रूप में सघन वन्य इलाक़ों को नकारात्मक रूप से देखने की प्रवृत्ति मिलती है.
ग्यारह साल पहले इस क़ानून के पारित होने के बाद से आदिवासी समुदाय इस दिन को एक उत्सव के रूप में मनाते आ रहे हैं.
जन गण मन की बात की 44वीं कड़ी में विनोद दुआ वाम दलों की स्थिति और प्रशांत विश्नोई के घर से मिले हथियारों के जखीरे और वन्य जीवों के अंगों पर चर्चा कर रहे हैं.