2019 के चुनावों से 18 महीने पहले, भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई दिखाई दे रही है, लेकिन नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार 2022 तक पूरे किए जाने वाले नामुमकिन वादों की झड़ी लगाने का सिलसिला जारी है.
जन गण मन की बात की 125वीं कड़ी में विनोद दुआ अर्थव्यवस्था को लेकर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की टिप्पणी और सरदार भगत सिंह पर चर्चा कर रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार बता रहे हैं कि टैक्स वसूलने को लेकर सरकार और व्यापारियों के बीच एक तरह की जंग चल रही है. व्यापारी डर के मारे बोल नहीं पा रहे हैं. कैमरा आॅन होता है तो तारीफ करने लगते हैं.
सरकार ने चुपके से स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन से जुड़े नियमों में बदलाव किए, जिसका सीधा फ़ायदा अडानी समूह को पहुंचा.
जीएसटी को लागू किए जाने से पहले सरकार ने छोटे कारोबारियों की चिंताओं को नज़रअंदाज़ किया. किसी को जीएसटी के जटिल प्रारूप के कारण छोटे व्यापारियों पर पड़नेवाले प्रभावों का आकलन करने की फुर्सत नहीं है, जिन पर वकील और सीए अभी से ही शिकारी बाज़ की तरह झपट पड़े हैं.
अगर संपादक मंत्री से कहकर किसी नियुक्ति में कोई बदलाव करवा सकते हैं, तो क्या इसके एवज में मंत्रियों को अख़बारों की संपादकीय नीति प्रभावित करने की क्षमता मिलती है?
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह भी कहा कि बैंकों के फंसे कर्ज़ की समस्या के समाधान पर आरबीआई तेज़ी से काम कर रहा है.
मज़दूरों को न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा देने के लिए उनके कार्य क्षेत्र से जुड़े उपक्रमों पर एक उपकर (सेस) लगाया गया था, जिसे सरकार ख़त्म करती जा रही है.
जीएसटी के फायदे और नुकसान पर आर्थिक मामलों के जानकार और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से अमित सिंह की बातचीत.
वित्त विधेयक 2017 पर आर्थिक मामलों के जानकार और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु के साथ अमित सिंह की बातचीत.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) के जगदीप छोकर से बात कर रहे हैं 'द वायर हिंदी' के संपादक बृजेश सिंह.
द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से चर्चा कर रहे हैं ‘द वायर हिंदी’ के कार्यकारी संपादक बृजेश सिंह.