हाल ही में उत्तराखंड का मुख्यमंत्री पद संभालने वाले तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि फटी जींस पहनने वाली महिला क्या संस्कार देगी. रावत ने कहा था कि घुटने दिखाना, रिप्ड जींस पहनना अमीर बच्चों की तरह दिखना है, घुटनों पर फटी जींस पहनकर ख़ुद को बड़े बाप का बेटा समझते हैं. ऐसे फैशन में लड़कियां भी पीछे नहीं हैं.
गिरीश कर्नाड के नाटकों में बेहद सुंदर संतुलन देखने को मिलता है, जहां वह भारत के तथाकथित स्वर्णिम अतीत या पौराणिक मिथक को कच्चे माल की तरह उपयोग तो करते हैं, पर उसके मूल में कोई समसामयिक समस्या या वर्तमान समाज के विरोधाभास ही निहित रहते हैं.
गिरीश कर्नाड आज़ादी के बाद आई पहली पीढ़ी के उन कलाकारों में से थे, जिन्होंने भारतीय रंगमंच के लिए सबसे गंभीर और चिरस्थायी नाटकीय लेखन की नींव रखी.
81 वर्षीय गिरीश कर्नाड लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिसके बाद बेंगलुरु के एक अस्पताल में उनको भर्ती कराया गया था.
धर्म का एक अभिप्राय है अपने अंदर झांककर बेहतर इंसान बनने की कोशिश करना और दूसरा स्वरूप आस्था के बाज़ारीकरण और व्यवसायीकरण में दिखता है. आस्था के इसी स्वरूप की विकृति कांवड़िया उत्पात को समझने में मदद करती है.
योगगुरु से उद्योगपति के रूप में उभरे बाबा रामदेव पर प्रियंका पाठक नारायण से उनकी किताब ‘गॉडमैन टू टाइकून’ के बारे में बातचीत.