चुनावी बातें: 1984 में भाजपा से अटल बिहारी वाजपेयी और कांग्रेस से माधवराव सिंधिया ग्वालियर से मैदान में थे, जिससे विजयाराजे सिंधिया के सामने पार्टी व पुत्र के बीच चुनाव का धर्मसंकट आ खड़ा हुआ था. उस पर अटल बिहारी ने ख़ुद को उनका धर्मपुत्र बताकर इस दुविधा को और बढ़ा दिया था.
लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में भाजपा नेता गिरिराज सिंह, बाबुल सुप्रियो, बैजयंत पांडा, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, उर्मिला मातोंडकर, मिलिंद देवड़ा, सीपीएम के कन्हैया कुमार, समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव की चुनावी किस्मत ईवीएम में कैद होगी.
कन्नौज की सीट करीब दो दशक से यादव परिवार के पास ही रही है लेकिन इस चुनाव में यहां जो जातीय समीकरण बन रहे हैं वो यादव परिवार द्वारा यहां किए गए विकास कार्यों पर भारी पड़ रहा है.
भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि चुनाव अधिकारी मतदान के दौरान मतदाताओं से समाजवादी पार्टी के लिए कह रहे थे.
सात चरणों में से सबसे बड़े इस चरण में 14 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की 116 सीटों में मतदान हो रहा है.
चुनावी बातें: सपा-बसपा के पहले गठबंधन के समय उत्तर प्रदेश विधानसभा के मध्यावधि चुनाव में जनता दल ने अपने प्रचार की ज़िम्मेदारी लालू प्रसाद यादव के कंधों पर डाली थी.
विशेष रिपोर्ट: गोरखपुर में भाजपा आत्मविश्वास की कमी से जूझ रही है. प्रत्याशी चयन में एक महीना लगना और इस दौरान दर्जन भर नेताओं का नाम आना व ख़ारिज होना इसका उदाहरण है. आखिर में ऐसे प्रत्याशी को ‘आयात’ करना पड़ा, जिसे लेकर पार्टी और समर्थकों में उत्साह नहीं दिख रहा है.
समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान ने भाजपा उम्मीदवार जयाप्रदा के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी की थी जबकि केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने एक संप्रदाय विशेष के बारे में विवादित बयान दिया था, जिसके बाद चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए यह रोक लगाई.
2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा की ज़बरदस्त जीत 2019 में दोहराई नहीं जाएगी क्योंकि तब की तुलना में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड, बिहार और दिल्ली जैसे राज्यों में भाजपा अपना आधार खोती नज़र आ रही है.
उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट से सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार आज़म ख़ान ने रविवार को एक जनसभा के दौरान भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था. विवाद होने पर बोले, मैंने किसी का नाम नहीं लिया.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर लोकसभा सीट से सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी आज़म ख़ान से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
चुनावी बातें: मौजूदा दौर में जब चुनाव का वास्तविक ख़र्च करोड़ों में होता है, इस बात की कल्पना भी मुमकिन नहीं कि कोई निर्धन प्रत्याशी ख़ाली हाथ चुनाव के मैदान में उतरेगा और जीत जाएगा, पर 1967 में ऐसा हुआ था.
बसपा प्रमुख मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन की पहली रैली सहारनपुर के देवबंद में की, जहां पहले चरण में 11 अप्रैल को चुनाव होने हैं.
प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह दोनों समाजवादी पार्टी का घोषणापत्र पढ़कर चौंक गए होंगे. दोनों सोच रहे होंगे कि सपाई क्यों उनके राज्य के नाम पर रेजीमेंट बना रहे हैं?
गुजरात से आख़िरी बार 1984 में मुस्लिम सांसद के रूप में कांग्रेस से अहमद पटेल लोकसभा पहुंचे थे. इससे पहले 1977 में राज्य से दो नेता- अहमद पटेल और एहसान ज़ाफ़री सांसद बने. गुजरात से एक बार में इससे ज़्यादा मुस्लिम सांसद लोकसभा नहीं पहुंचे हैं.