दिल्ली दंगों के बाद क्या थी दिल्ली सरकार की ज़िम्मेदारी और उसने क्या किया?

दंगा प्रभावित लोगों के लिए आम जनता की तरफ से किए जा रहे सभी प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन यह कोई स्थायी समाधान नहीं है. दंगे में अपना सब कुछ खो चुके निर्दोष लोगों को सरकार की तरफ से सम्मानजनक मदद मिलनी चाहिए थी न कि उन्हें समाज के दान पर निर्भर रहना पड़े.

अलीगढ़ में होली से पहले ढकी गई मस्जिद, प्रशासन ने कहा- शांति बहाली के लिए ऐसा किया

उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि शांति व्‍यवस्‍था बनाए रखने के लिए अलीगढ़ के संवेदनशील अब्दुल करीम चौराहा पर स्थित हलवाइयां मस्जिद को शामियाना और तिरपाल से ढक दिया है, ताकि होली के दौरान मस्जिद पर कोई रंग ना फेंक दे.

दिल्ली दंगा: मुस्तफ़ाबाद की एक बस्ती, जो सांप्रदायिकता के ज़हर से अछूती रही

ग्राउंड रिपोर्ट: दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों में हुई हिंसा की भयावहता के बाद मुस्तफ़ाबाद इलाके में कुछ ऐसे हिंदू परिवार भी हैं, जो यह मानते हैं कि दंगों की आंच से उन्हें बचाने के लिए उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने बहुत मदद की.

‘गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने गया तो पुलिस ने सांप्रदायिक टिप्पणी करते हुए भगा दिया’

दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों में हुए दंगों के बाद कई परिवारों के सदस्य गुमशुदा हैं. परिजनों का आरोप है कि पुलिस इसे लेकर एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है और सरकार से भी उन्हें ज़रूरी मदद नहीं मिल रही है.

‘मुझे पहली बार अपने नाम की वजह से डर लगा’

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान मुस्तफ़ाबाद इलाके में पीड़ितों की मदद के लिए पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता भी डर से अछूते नहीं थे. एक ऐसे ही कार्यकर्ता की आपबीती.

मीडिया बोल: दिल्ली की हिंसा, गोली मारो के नारे और मीडिया

वीडियो: 23 फरवरी से दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की आग में अब तक 48 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हैं. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश इस बारे में द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी और जनचौक वेबसाइट के संवाददाता सुशील मानव से चर्चा कर रहे हैं.

दिल्ली की सांप्रदायिक हिंसा के लिए नरेंद्र मोदी की राजनीति ज़िम्मेदार है

दिल्ली की हिंसा का कोई ‘हिंदू’ या ‘मुस्लिम’ पक्ष नहीं है, बल्कि यह लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की एक घृणित सियासी चाल है. 2002 के दंगों ने भाजपा को गुजरात में अजेय बना दिया. गुजरात मॉडल के इस बेहद अहम पहलू को अब दिल्ली में उतारने की कोशिश ज़ोर-शोर से शुरू हो गई है.

मैं कमिश्नर होता तो कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर को गिरफ़्तार कर चुका होता: दिल्ली के पूर्व कमिश्नर

बीएसएफ के महानिदेशक और दिल्ली के कमिश्नर रह चुके अजय राज शर्मा ने वरिष्ठ पत्रकार करन थापर से बात करते हुए दिल्ली में हुई हालिया हिंसा के दौरान पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा कि वह दंगों को संभालने में नाकाम रही.

गांधी का स्‍वतंत्रता संघर्ष ‘नाटक’ था, ऐसे लोग हमारे देश में महात्मा बन गए: भाजपा सांसद

आपत्तिजनक बयानों को लेकर हमेशा विवादों में रहने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने बेंगलुरु में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास पढ़ने पर मेरा खून खौलता है.

झारखंड लिंचिंगः तबरेज़ अंसारी की हत्या के मामले के छह आरोपियों को ज़मानत

झारखंड के सरायकेला खरसावां ज़िले में बीते 18 जून को चोरी के आरोप में तबरेज़ अंसारी नाम के युवक को भीड़ ने एक खंभे से बांधकर बेरहमी से कई घंटों तक पीटा था, जिससे उनकी मौत हो गई थी.

उत्तर प्रदेश: अयोध्या में कड़ी सुरक्षा, सभी ज़िलों में बनाई गई अस्थायी जेल, स्कूल बंद

राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनज़र अयोध्या छावनी में तब्दील. अयोध्या के आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पूरे उत्तर प्रदेश में सुरक्षा कड़ी की गई. धारा 144 लागू. 21 ज़िलों को संवेदनशील घोषित किया गया.

विहिप ने अयोध्या को रणक्षेत्र बनाया तो ‘हिंदू’ हुई हिंदी पत्रकारिता

मुख्यधारा की पत्रकारिता तो शुरुआती दिनों से ही राम जन्मभूमि आंदोलन का अपने व्यावसायिक हितों के लिए इस्तेमाल करती और ख़ुद भी इस्तेमाल होती रही. 1990-92 में इनकी परस्पर निर्भरता इतनी बढ़ गई कि लोग हिन्दी पत्रकारिता को हिंदू पत्रकारिता कहने लगे.

सांप्रदायिक दंगों में बिहार अव्वल क्यों है?

एक साल की देरी से जारी किए गए एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 में देश में दंगों की कुल 58,729 वारदातें दर्ज की गईं. इनमें से 11,698 दंगे बिहार में हुए. वर्ष 2017 में ही देश में कुल 723 सांप्रदायिक/धार्मिक दंगे हुए. इनमें से अकेले बिहार में 163 वारदातें हुईं, जो किसी भी सूबे से ज़्यादा है.

झारखंड: अफ़वाहों के चलते सात लोगों की लिंचिंग हुई, एनसीआरबी रिपोर्ट में कहा- कोई मामला नहीं

राज्य में बीते तीन साल में गोकशी, चोरी, बच्चा चोरी और अफ़वाहों के चलते 21 लोगों की मौत हुई है. जनवरी 2017 से लेकर अब तक राज्य में जादू-टोना करने के शक के आधार पर हुई भीड़ की हिंसा में 90 से अधिक लोगों की मौत हुई है.

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