दिल्ली सरकार ने घर-घर राशन पहुंचाने की योजना की शुरुआत 2018 में करने की कोशिश की थी, लेकिन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने तब सलाह दी थी अंतिम निर्णय लेने से पहले पूरा विवरण केंद्र सरकार के समक्ष रखना चाहिए. इस साल मार्च में केंद्र ने यह कहते हुए दिल्ली सरकार से इस योजना को लागू न करने के लिए कहा था कि इसके लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आवंटित सब्सिडी वाले खाद्यान्न का उपयोग करने की अनुमति नहीं
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 25 मार्च को सीमापुरी इलाके में 100 घरों तक राशन पहुंचाकर ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ की शुरुआती करने वाले थे. केजरीवाल ने कहा है कि उन्हें योजना के नाम में ‘मुख्यमंत्री’ शब्द से आपत्ति है अब इस योजना का कोई नाम नहीं होगा. केंद्र जो राशन देगी हम उसे घर घर पहुंचाएंगे. इस पर उन्हें आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
झारखंड के लातेहार जिला प्रशासन ने यह कहते हुए मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि भूख से मौत को साबित करने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं है.
केरल के भाजपा प्रवक्ता बी. गोपालकृष्णन ने राज्य सरकार के नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर से जुड़ी गतिविधियों पर रोक लगाने पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री विजयन ने एनपीआर लागू नहीं किया तो केंद्र द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राज्य को मिलने वाला राशन नहीं दिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे भूख और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोई योजना तैयार करें.
उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के में राशन व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से कोटे की दुकानों पर ई-पॉश मशीन लगाकर राशन देने की व्यवस्था की गई है, लेकिन इससे आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि इससे लाभार्थी देश में कहीं भी किसी भी राशन की दुकान से अपने हिस्से का अनाज प्राप्त कर सकेंगे.
परिवारवालों का कहना है कि पिछले तीन दिनों से घर में अन्न का एक दाना भी नहीं था, इसलिए भूख से बुजुर्ग की मौत हो गई. वहीं, प्रशासन ने भूख से मौत होने की बात से इनकार किया है.
झारखंड में रघुबर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन लेने के लिए राशन कार्ड में दर्ज सभी सदस्यों का आधार लिंक करवाना अनिवार्य कर दिया है. इस निर्णय से आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर लोग राशन से वंचित हो सकते हैं.
बीते मंगलवार को लोकसभा में सरकार ने कहा कि किसी भी राज्य ने भूख से मौत की जानकारी नहीं दी है. कई मीडिया रिपोर्टों में भूख से मौत का दावा किया गया है लेकिन जांच में ये सही नहीं पाया गया.
झारखंड सरकार ने तो भुखमरी के मुद्दे से अपना मुंह ही फेर लिया है. उल्टा, जो लोग भुखमरी की स्थिति को उजागर कर रहे हैं, सरकार उनकी मंशा पर लगातार सवाल कर रही है.
झारखंड में पिछले साल हुई 11 साल की संतोषी कुमारी की मौत के एक साल बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 2015 के बाद से कथित भूख से हुई मौतों की एक सूची जारी की है.
झारखंड में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की व्यवस्था फेल होने के बाद राज्य सरकार ने इसे वापस ले लिया है. पिछले साल अक्टूबर में रांची के नगड़ी ब्लॉक में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया था.
कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि झारखंड और कुछ अन्य राज्यों में आधार से जुड़ी सार्वजनिक वितरण प्रणाली में ख़ामियों की वजह से भुखमरी से मौत के कई मामले सामने आए हैं.
यूआईडीएआई ने सरकारी विभागों और राज्य सरकारों से कहा है कि आधार संख्या नहीं होने पर आवश्यक सेवाओं और लाभ से वास्तविक लाभार्थी को उसका लाभ लेने से मना नहीं किया जाए.