परिजनों का आरोप है कि 24 वर्षीय जुनैद को ग़लत तरीके से बीते 31 मई को फ़रीदाबाद की साइबर पुलिस ने हिरासत में लिया गया था और इस दौरान उन्हें बुरी तरह से प्रताड़ित किया गया, जिससे उनकी मौत हो गई. हालांकि पुलिस ने आरोप से इनकार करते हुए कहा है कि जुनैद की मौत किडनी संबंधी दिक्कत की वजह से हुई.
कर्नाटक के कोगडु ज़िले के विराजपेट क़स्बे का मामला. आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने बीते आठ जून को लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने को लेकर मानसिक रूप से विक्षिप्त रॉय डी’सूजा को हिरासत में लिया था. इस दौरान उनके साथ बुरी तरह से मारपीट की गई. इलाज के दौरान 12 जून को उनकी मौत हो गई. मृतक के भाई की शिकायत पर पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले का मामला. एक नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोपी दलित युवक की मां की शिकायत के आधार पर तीनों पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज करने के साथ उन्हें निलंबित कर दिया गया है. शिकायतकर्ता का कहना है कि तीनों पुलिसकर्मियों ने उनके बेटे को मारने की मंशा से उसका गला घोंटा और डंडे से बेरहमी से उसकी पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई.
मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले का मामला. पुलिस ने मादक पदार्थ ब्राउन शुगर की तस्करी के आरोप में 21 वर्षीय युवक को गिरफ़्तार किया था. परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने युवक की रिहाई के लिए 50 लाख रुपये की मांग की थी. साथ ही ये भी दावा किया कि युवक के शव पर चोट के कई निशान मिले हैं.
गुजरात सरकार ने प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक निरंजन पटेल द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में विधानसभा को बताया कि 2019 में पुलिस हिरासत में 70 मौतें हुईं, जबकि 2020 में 87 लोगों की जान गई थी.
उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले के बक्शा थाने का मामला. लूट के एक मामले में अपराध शाखा का दल मृतक युवक समेत चार-पांच लोगों को पूछताछ के लिए बक्शा थाने लाया था. परिवारवालों ने पिटाई द्वारा युवक की हत्या करने का आरोप पुलिस पर लगाया है.
कच्छ ज़िले के मुंद्रा थाने का मामला. 12 जनवरी को चोरी के संदेह में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ़्तार किया था, जिनमें से एक की मौत 19 जनवरी को हो गई थी. तब भी आरोप लगा था कि पुलिस की बर्बर पिटाई के बाद उनकी जान गई.
गुजरात के कच्छ ज़िले के मुंद्रा पुलिस स्टेशन का मामला. चोरी के संदेह में गिरफ़्तार किए गए एक मज़दूर की 19 जनवरी को मौत हो गई थी. आरोप है कि हिरासत में बेरहमी से उनकी पिटाई की गई थी. मामले में मुंद्रा पुलिस इंस्पेक्टर को भी लापरवाही बरतने की वजह से निलंबित किया गया है.
ओडिशा के पुरी और सुंदरगढ़ ज़िलों में कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मौत के मामले सामने आए हैं, जिसे लेकर ओडिशा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन हंगामा हुआ. अदालत की निगरानी में जांच के लिए ओडिशा हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है.
इस साल जून में पुलिस हिरासत में हुई जयराज और उनके बेटे बेनिक्स की मौत के मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि उन्हें इतनी बुरी तरह से पीटा गया था कि उनका ख़ून दीवारों पर फैल गया था. इसके बाद पुलिस ने उन्हें उनके ही कपड़ों से ख़ून पोंछने के लिए मजबूर किया.
एनसीआरबी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में कुल 53 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी.
पंजाब: पूर्व डीजीपी को सुप्रीम कोर्ट से संरक्षण मिलने के बाद फ़र्ज़ी मुठभेड़ के अन्य पीड़ित सामने आए
पंजाब में उग्रवाद के दौरान राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी पर प्रताड़ना, लोगों को गायब कराने का आदेश देने और फ़र्ज़ी मुठभेड़ में हत्याएं कराने के कई आरोप लगे हैं.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने आतंकियों को आश्रय देने के आरोप में 23 वर्षीय इरफ़ान अहमद डार नाम के एक युवक को हिरासत में लिया था. पुलिस का दावा है कि इरफ़ान हिरासत से भाग गए थे और बाद में उनका शव मिला था, लेकिन उसने मौत का कोई कारण नहीं बताया है.
मामला श्रावस्ती ज़िले का है, जहां छेड़छाड़ के आरोप में हिरासत में लिए गए युवक वाजिद का शव लॉकअप में मिला था. युवक के परिजनों के अनुसार भूमि विवाद के चलते झूठे आरोप में फंसाकर वाजिद को गिरफ़्तार करवाया गया और फिर दो लाख रुपये रिश्वत देने से इनकार करने पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें प्रताड़ित किया.
केरल के पथनमथिट्टा ज़िले का मामला. 28 जुलाई को कुछ वन अधिकारियों ने वनक्षेत्र में कैमरा नष्ट करने के आरोप में मथाई नामक किसान को गिरफ़्तार किया था. कुछ घंटों बाद उसका शव एक कुएं से बरामद किया गया था. मामले में किसी की भी गिरफ़्तारी न होने की वजह से परिवार ने उनके शव का अब तक अंतिम संस्कार नहीं किया है.