वीडियो: बीते रविवार से दिल्ली में शुरू हुए दंगे की आग में अब तक 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 300 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं. इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय से लेकर दिल्ली पुलिस तक पूरा प्रशासनिक महकमा मूकदर्शक बना रहा. दंगा रोकने में नाकाम रही दिल्ली पुलिस पिछले कुछ समय से अपनी कार्यप्रणाली को लेकर लगातार सवालों के घेरे में है. सांप्रदायिकता, दंगा और पुलिस की भूमिका पर
2020 के दिल्ली दंगे सांप्रदायिक आधार पर देश को बांटने की सुनियोजित कोशिश का नतीजा हैं.
वीडियो: उत्तरी पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़कने के एक दिन बाद सांप्रदायिकता की आगे के बीच इस क्षेत्र का सीलमपुर शांति का माहौल बनाए रखने में कामयाब रहा. सीलमपुर जे ब्लॉक के स्थानीय लोगों से सृष्टि श्रीवास्तव की बातचीत.
वीडियो: उत्तर पूर्वी दिल्ली में बीते दिनों हुई हिंसा के दौरान खजूरी ख़ास क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है. मंगलवार को क्षेत्र में हुई हिंसा के बाद वहां के स्थानीयों से सृष्टि श्रीवास्तव की बातचीत.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के तहत गठित एसआईटी टीमों में से एक के प्रमुख डीसीपी जॉय टिर्की होंगे जबकि दूसरी टीम का नेतृत्व डीसीपी राजेश देव करेंगे. ये दोनों अधिकारी जामिया और जेएनयू हिंसा मामलों की भी जांच कर रहे हैं.
दिल्ली हिंसा की तैयारी में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, दूसरे केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के नेताओं के प्रत्यक्ष और परोक्ष मुसलमान विरोधी उकसावे की भूमिका है. अगर कभी इस हिंसा की निष्पक्ष जांच हुई, जिसकी उम्मीद न के बराबर है तो इन सब पर इन सभी हत्याओं के लिए ज़िम्मेदारी तय की जाएगी.
ग़ैर-भाजपा शासित प्रदेश सरकारों को नागरिकता संशोधन कानून का बहिष्कार करते हुए इसे निरस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रास्ता अख़्तियार करना चाहिए. साथ ही इस समस्या की जड़ 2003 वाले नागरिकता संशोधन को भी निरस्त करने की मांग करनी चाहिए.
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के मद्देनज़र लिखी गईं कविताएं युवाओं के बीच कविता की लोकप्रियता के प्रति उम्मीद तो जगाती ही हैं, साथ ही इन्होंने युवाओं को सामाजिक-राजनीतिक सरोकारों के प्रति भी सचेत किया है.
शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ बैठी महिलाओं का कहना है कि मज़हबी होने का मतलब कट्टरता नहीं बल्कि भाईचारा है. हम हर मज़हब और उसके मानने वालों की इज्ज़त करते हैं. सब अपने-अपने दस्तूर मानें और माननें दें.
जम्मू कश्मीर पर एक ब्रिटिश संसदीय दल की अध्यक्ष और लेबर पार्टी की सांसद डेब्बी अब्राहम को बीते सोमवार को नई दिल्ली हवाईअड्डे पर पहुंचने पर भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी.
भाजपा का एजेंडा चुनाव की जीत से कहीं ज़्यादा बड़ा है.
केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर की स्थिति में बदलाव किए जाने के तुरंत बाद लेबर पार्टी की सांसद एवं कश्मीर पर सर्वदलीय संसदीय दल की अध्यक्ष डेब्बी अब्राहम ने ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया कि यह कार्रवाई कश्मीर के लोगों के विश्वास को धोखा देती है.
साक्षात्कार: बीते दिनों द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ भाटिया के साथ बातचीत में फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने सीएए-एनआरसी-एनपीआर के विरोध में चल रहे विरोधी प्रदर्शनों, सांप्रदायिकता के उभार और अहम मसलों पर फिल्म उद्योग के बड़े नामों की चुप्पी समेत कई विषयों पर बात की.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने कहा कि कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का सरकार का निर्णय एक ऐसा मुद्दा था जिसके कारण संविधान काफी चर्चा में रहा और इसने अपनी ओर लोगों का ध्यान खींचा.
पिछले 40-45 वर्षों में संविधान की नींव कई बार हिली और ‘हम भारत के लोगों’ को तोड़ने के कई प्रयास किए गए, पर ‘हम लोग’ की परिभाषा अपरिवर्तित ही रही. कई सरकारें आईं-गईं पर एक समूचे समुदाय को देश की मुख्यधारा से काटने का प्रयास नहीं हुआ, लेकिन आज परिस्थितियां और हैं.