सीआईसी का यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक की याचिका पर आया है, जिन्होंने ईवीएम और वीवीपैट की फर्मवेयर की जांच से संबंधित सूचना मांगी थी. फर्मवेयर किसी हार्डवेयर उपकरण पर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है. इन ईवीएम और वीवीपैट इकाइयों का इस्तेमाल 2019 के लोकसभा चुनाव में किया गया था.
अगर आधार बनाने वाली एजेंसी यूआईडीएआई इस पर सहमति जता देती है तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और आधार अधिनियम, 2016 में संशोधन के बिना ही वोटर कार्ड के साथ आधार को लिंक करने का रास्ता साफ़ हो जाएगा.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-2020 में भाजपा द्वारा घोषित चंदे की राशि कांग्रेस, राकांपा, भाकपा, माकपा और टीएमसी द्वारा इसी अवधि में प्राप्त चंदे की कुल राशि से तीन गुना से भी अधिक है. भाजपा को 785.77 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि शेष दलों को कुल 228.035 करोड़ रुपये का चंदा मिला.
आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चला है कि एक जुलाई से 10 जुलाई के बीच 17वें चरण में कलकत्ता ब्रांच से 97.31 करोड़ रुपये, चेन्नई ब्रांच से 30 करोड़ रुपये और हैदराबाद ब्रांच से 10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे.
पेगासस प्रोजेक्ट: पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के फोन की फॉरेंसिक जांच के बिना यह बता पाना संभव नहीं है कि इसमें सफलतापूर्वक पेगासस स्पायवेयर डाला गया या नहीं, हालांकि निगरानी सूची में उनके नंबर का होना यह दर्शाता है कि उनके फोन में सेंध लगाने की योजना बनाई गई थी.
बीते 13 जुलाई को पांचवीं बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले नेपाली कांग्रेस के 75 वर्षीय प्रमुख शेर बहादुर देउबा ने 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 मत हासिल किए. देउबा ने नेपाल-भारत संबंधों को मज़बूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है.
नेपाल के निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिनिधि सभा को बहाल किए जाने के बाद देश में 12 और 19 नवंबर को होने वाले संसदीय चुनाव टाल दिए. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 22 मई को पांच महीनों में दूसरी बार निचले सदन को भंग कर दिया था और मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चुनावी ट्रस्ट के माध्यम से राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे की 76.17 फीसदी राशि भाजपा को मिली है. इसके बाद दूसरे स्थान पर कांग्रेस को 58 करोड़ रुपये का चंदा मिला है.
ममता बनर्जी की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में जस्टिस कौशिक चंदा की पीठ को नंदीग्राम याचिका की सुनवाई सौंपने को लेकर पूर्वाग्रह की आशंका जताई गई है. टीएमसी ने जस्टिस चंदा की भाजपा नेताओं के साथ तस्वीरें साझा करते हुए उनकी निष्पक्षता को लेकर सवाल किए हैं.
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज करने वाली सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट पर कभी सहयोगी रहे भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी से हार गई थीं. आधिकारिक नतीजे आने से पहले घंटों तक भ्रम की स्थिति रही, क्योंकि मीडिया के एक धड़े में शुभेंदु अधिकारी पर ममता की जीत की ख़बर चलने लगी थी.
चुनाव आयोग को सौंपी गई योगदान रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में भाजपा को कंपनियों और व्यक्तियों से लगभग 750 करोड़ रुपये का चंदा मिला. यह कांग्रेस पार्टी को मिले 139 करोड़ रुपये से कम से कम पांच गुना अधिक है.
1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे अनूप चंद्र पांडेय ने अगस्त 2019 तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधीन उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया है. इस दौरान उत्तर प्रदेश में संदिग्ध पुलिस मुठभेड़ों को योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करने वाला एक पत्र राज्य के अधिकारियों को भेजने की ज़िम्मेदारी उन्हें मिली थी.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति में केवल कार्यपालिका अकेली प्रतिभागी नहीं हो सकती, क्योंकि इससे सत्तारूढ़ दल को अपने प्रति निष्ठावान किसी अधिकारी को चुनने का विशेषाधिकार मिल जाता है.
देश में अब तक कुल 16 चरणों में चुनावी बॉन्ड की बिक्री हुई है. एसबीआई ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया है कि इस साल जनवरी में 15वें चरण में 42.10 करोड़ रुपये और अप्रैल में 16वें चरण में 695.34 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए हैं. इस दौरान सर्वाधिक बॉन्ड पश्चिम बंगाल के कोलकता शाखा से बिके.
बीते दिनों मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए इसके अधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज किया जा सकता है. इसे लेकर चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने अपना एक अलग हलफ़नामा तैयार कर इस्तीफ़ा देने को कहा था. आयोग ने इसे ख़ारिज कर दिया.