केंद्रीय कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर चुनाव आयोग ने अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 में बदलाव करने की मांग की है.
मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा, पार्टियों को चुनौती देंगे कि वे 5 राज्यों के चुनाव में इस्तेमाल की गई ईवीएम में गड़बड़ी के अपने दावे को सच साबित करके दिखाएं.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने सरकार से आग्रह किया है कि वह पेपर ट्रेल मशीनों की समयबद्ध खरीद के लिए तुरंत धन जारी करे ताकि लोकसभा चुनाव में इन मशीनों को उपयोग में लाया जा सके.
दिल्ली में हुई प्रेस वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोग अपने बेटे दुर्योधन को साम, दाम, दंड, भेद करके सत्ता दिलवाना चाहता है.
निर्वाचन आयोग ने मीडिया संस्थानों को सख़्त निर्देश दिए हैं कि वो किसी भी चुनाव के नतीजों से जुड़ी ज्योतिषियों, टैरो कार्ड रीडर और पंडितों की भविष्यवाणी को प्रसारित न करें.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल के विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में छेड़छाड़ किए जाने के आरोपों की सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों से जांच कराने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर शुक्रवार को चुनाव आयोग से जवाब मांगा.
दिल्ली चुनाव आयोग ने केजरीवाल सरकार को आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक आदि सरकारी योजनाओं के विज्ञापनों से आम शब्द हटाने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट के नोटिस पर अपना पक्ष रखते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने आपराधिक छवि वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध का समर्थन किया है.
एक गैर सरकारी संगठन ने अपने सर्वेक्षण में दावा किया है कि इस बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में नोट के बदले वोट लेेने के लिए उम्मीदवारों ने तकरीबन एक हज़ार करोड़ रुपये खर्च किए.
कुछ राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए जाने के बीच निर्वाचन आयोग के पूर्व प्रमुखों ने इस बात पर जोर दिया है कि मशीनों से छेड़छाड़ नहीं हो सकती.
अलग-अलग चरणों में पार्टी के चुनावी प्रदर्शन में असमानता इस बात का सबूत है कि ‘अच्छी खबर’ चुनावी पासे को पलटने में मदद कर सकती है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथमदृष्टया गड़बड़ी के पुख़्ता सबूत मिले हैं. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि वे ईवीएम से छेड़छाड़ के मामले को लेकर अदालत जाएंगी.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के मुताबिक ईवीएम में धांधली के आरोप पूरी तरह निराधार हैं. यदि इसमें छेड़छाड़ की गुंजाइश होती तो किसी सरकार की हार नहीं होती.
भले ही जनता ने मोदी को विधानसभा में प्रचंड बहुमत दे दिया है लेकिन लोकसभा की तरह उसे यहां भी निराश होना पड़ेगा. वजह साफ है कि न तो मोदी के पास कोई बड़ी दृष्टि है और न ही उनके पास स्थितियों को समझने का धैर्य.
यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर कोई जानना चाह रहा है. अब तक यह सवाल आपसे इतनी बार पूछा जा चुका होगा कि आपको जवाब रट गया होगा. फिलहाल अगले कुछ घंटे आप इन समीकरणों पर भी विचार कीजिए.