कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित जैन विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर मैनेजमेंट स्टडीज़ में हुए इस नाटक के बाद कई राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों ने विरोध किया. उनका मानना था कि यह जातिवादी था और कथित रूप से इसमें बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का अपमान किया गया था. इन लोगों ने कक्षाओं में संवेदनशीलता बढ़ाने की मांग की.
कोर्ट ने कहा कि सरकार की ये जिम्मेदारी है कि वे समय-समय पर इसकी समीक्षा करें ताकि जरूरतमंद लोगों को आरक्षण का लाभ मिले और संपन्न या सक्षम लोग इस पर अधिकार जमाए न बैठे रहें.
साल 2000 में अविभाजित आंध्र प्रदेश ने आदिवासी इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों के 100 फीसदी पद अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट इसे रद्द करते हुए पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जिसे तेलंगाना और आंध्र प्रदेश बराबर-बराबर भरेंगे.