लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान निर्भया कोष के आवंटन के संबंध में सरकार ने बताया कि इस मद में आवंटित धनराशि में से 11 राज्यों ने एक रुपया भी ख़र्च नहीं किया. दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दादरा नगर हवेली और गोवा जैसे राज्यों को महिला हेल्पलाइन के लिए दिए गए पैसे जस के तस पड़े हैं.
पंजाब चुनाव आयोग के एक विज्ञापन में निर्भया बलात्कार के एक दोषी को आदर्श मतदाता बताया गया है, जिस पर केंद्रीय चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया है. निर्भया की मां की शिकायत पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है.
केंद्र सरकार द्वारा साल 2018 तक जारी किए गए 854.66 करोड़ रुपये में से विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने मात्र 165.48 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया.
2012 के निर्भया कांड के बाद संविधान संशोधन के द्वारा आईपीसी की धारा 376 (ई) के तहत बार-बार बलात्कार के दोषियों को उम्रक़ैद या मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया था. इस प्रावधान के तहत 2014 में मौत की सज़ा पाने वाले शक्ति मिल्स सामूहिक बलात्कार कांड के तीन दोषियों ने इस धारा की संवैधानिकता को चुनौती दी थी.
बीते दिनों दिल्ली महिला आयोग की 181 हेल्पलाइन का ज़िम्मा एक निजी कंपनी को सौंप दिया गया, जिसके बाद यहां काम करने वाली महिला कर्मचारियों ने आयोग पर बिना क़ानूनी प्रक्रिया के मनमाने ढंग से यह फैसला लेने का आरोप लगाया है. वहीं आयोग का कहना है कि हेल्पलाइन में ठीक से काम न होने के चलते यह कदम उठाना पड़ा.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: दिल्ली में ‘निर्भया’ मामले के बाद सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड बनाया था, लेकिन इस फंड के उपयोग में बरती गई लापरवाही से महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के प्रति सरकार की गंभीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.