पिछले साल अगस्त में संसद द्वारा पारित जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 के तहत जन्म-मृत्यु डेटाबेस को राष्ट्रीय स्तर पर मेंटेन किया जाएगा और इसका इस्तेमाल राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) से लेकर मतदाता सूची, आधार संख्या, राशन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे अन्य डेटाबेस को अपडेट करने के लिए किया जा सकता है.
साक्ष्य बताते हैं कि आधार के सहारे फ़र्ज़ी बताए गए राशन कार्डों की संख्या का प्रधानमंत्री द्वारा किया गया दावा वास्तविकता से कई गुना ज़्यादा था.
समझ में नहीं आता कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संविधान पीठ को सौंपा हुआ है तो उसका फैसला आए बिना सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार की ऐसी अनिवार्यता थोपने का क्या तुक है.
जन गण मन की बात की 146वीं कड़ी में विनोद दुआ आधार की अनिवार्यता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार अभियान पर चर्चा कर रहे हैं.