दिल्ली विश्वविद्यालय: एक संभावनाशील प्रोफ़ेसर की बेदख़ली

पुस्तक समीक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में पिछले 14 सालों से एडहॉक कोटे से पढ़ा रहे और अब बेदख़ल कर दिए गए डॉ. लक्ष्मण यादव की हाल ही में प्रकाशित किताब ‘प्रोफ़ेसर की डायरी’ एडहॉक व्यवस्था की क्रूरता का पर्दाफ़ाश करती है. इन व्यवस्था ने ऐसा वर्ग विभाजन पैदा किया है, जहां संभावनाशील और मेहनतकश प्रोफ़ेसरों को शोषण की अंतहीन चक्की में झोंक दिया जाता है.

अस्थायी शिक्षकों को बर्ख़ास्त किए जाने पर क्या सोचते हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र

बीते दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों से विभिन्न विभागों के ऐसे एडहॉक शिक्षकों को हटाने की घटनाएं सामने आई हैं, जो एक दशक से अधिक समय से सेवाएं दे रहे थे.

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के 67 प्रतिशत से अधिक पद ख़ाली: रिपोर्ट

उत्तराखंड राज्य शिक्षा विभाग द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्य में प्रिंसिपल के स्वीकृत पदों में से 67 प्रतिशत से अधिक ख़ाली हैं. इस पद पर नियुक्ति केवल प्रमोशन के ज़रिये ही हो सकती है और पिछले चार सालों में ऐसा कोई प्रमोशन नहीं हुआ है.

दिल्ली विश्वविद्यालय की नियुक्तियों में एक प्रकार का संहार अभियान चल रहा है

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के अध्यापक समरवीर सिंह की आत्महत्या से उस गहरी बीमारी का पता चलता है जो दिल्ली विश्वविद्यालय को, उसके कॉलेजों को बरसों से खोखला कर रही है; कि स्थायी नियुक्ति का आधार योग्यता नहीं, भाग्य और सही जगह पहुंच है.

नगालैंडः सरकार की चेतावनी के बीच एडहॉक स्कूल शिक्षकों का प्रदर्शन जारी

नगालैंड के सरकारी स्कूलों में कार्यरत एक हज़ार से ज़्यादा एडहॉक शिक्षक अपनी सेवा को नियमित करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. वहीं, स्कूल शिक्षा निदेशालय ने उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी देते हुए ‘काम नहीं वेतन नहीं’ का नियम लागू कर दिया है.