पुण्यतिथि विशेष: अदम तब भी नहीं हकलाए, जब वंचितों के सारे हक़ों को मारकर बैठे सत्ताधीशों व हाक़िमों ने अपनी भृकुटियां टेढ़ी कर लीं और सबक सिखाने पर आमादा हो गए. अफ़सोसजनक है कि आज सत्ता ने सवालों की राह ऐसी बना दी है कि अनेक सवालिया निगाहें उसकी ओर उठने की हिम्मत तक नहीं कर पा रहीं.
हिंदी कविता में जब कुछ बड़े कवियों की धूम मची थी, अदम गोंडवी अपने श्रोताओं और पाठकों को गांवों की उन तंग गलियों में ले गए जहां जीवन उत्पीड़न का शिकार हो रहा था.