अमेरिकी न्याय विभाग और सिक्योरिटी एक्सचेंज कमीशन द्वारा भारतीय कारोबारी गौतम अडानी के ख़िलाफ़ घूसखोरी के आरोपों को लेकर अभियोग जारी किए जाने के बाद केन्या के राष्ट्रपति ने अडानी ग्रुप के साथ सभी सौदों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की घोषणा की है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताती है कि भारत की 5,422 किलोमीटर लंबी तटरेखा पर अडानी की उपस्थिति औसतन हर 500 किमी पर है, जो 10 साल पहले देश के सुदूर पश्चिमी छोर तक ही सिमटी थी. शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि अडानी के अभूतपूर्व विस्तार से बंदरगाह उद्योग पर एकाधिकार का ख़तरा है.
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2018 में भारत में इज़रायल के राजदूत रहे रॉन मलका को हाइफा बंदरगाह कंपनी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. इस कंपनी का स्वामित्व अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड और इजरायल के गैडो समूह के एक कंसोर्टियम के पास है, जिसमें अडानी पोर्ट्स का 70 प्रतिशत हिस्सा है.
‘हम अडानी के हैं कौन’ शृंखला के तहत कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा संचालित विशाखापट्टनम बंदरगाह के बजाय एक प्रतिकूल अनुबंध के ज़रिये इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) द्वारा गंगावरम बंदरगाह का इस्तेमाल किया जा रहा है.
अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के अध्यक्ष गौतम अडानी ने कहा कि असाधारण परिस्थितियों के मद्देनज़र कंपनी के निदेशक मंडल ने फैसला किया है कि एफपीओ पर आगे बढ़ना नैतिक रूप से ठीक नहीं होगा. निवेशकों का हित हमारे लिए सर्वोपरि है और उन्हें किसी तरह के संभावित नुकसान से बचाने के लिए निदेशक मंडल ने एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया है.
वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग का कहना है कि उसके दो साल के शोध के बाद पता चला है कि 17,800 अरब रुपये मूल्य वाले अडानी समूह के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर यूएई तक में हैं, जिनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी को अंजाम देने के लिए किया गया. समूह ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है.