जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार पर उन्हें दी गई सुरक्षा को कम करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का समर्थन करने और अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना का विरोध करने के कारण ऐसा किया गया है.
सशस्त्र बलों में भर्ती से जुड़ी केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना के ख़िलाफ़ कुल 23 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें से पांच में योजना को चुनौती दी गई थी, वहीं अन्य 18 में पुरानी भर्ती प्रणाली को लागू करने की मांग की गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इन सभी को ख़ारिज करते हुए कहा कि उसे योजना में दख़ल देने की कोई वजह नहीं दिखती.
अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया के तहत सेना में जाने के इच्छुक उम्मीदवारों को पहले फिजिकल फिटनेस टेस्ट से गुज़रना होता था, जिसके बाद मेडिकल टेस्ट होता था. अंतिम चरण में उन्हें कॉमन एंट्रेंस एग्जामिनेशन (सीईई) पास करना होता था. अब बदली हुई प्रक्रिया में सबसे पहले सीईई पास करना होगा, जिसके बाद अन्य दोनों टेस्ट होंगे.
अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ दाख़िल याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बताया है कि अग्निवीर कैडर को अलग कैडर के रूप में बनाया गया है. इसे नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जाएगा. चार साल तक अग्निवीर के रूप में सेवा करने के बाद फिट पाए जाने पर नियमित कैडर की सेवा शुरू होगी.
अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना में नौकरी की प्रकृति समान होने पर भी 'अग्निवीरों' और नियमित सिपाहियों के वेतन में अंतर के बारे में पूछा था, जिस पर केंद्र ने कैडर अलग होने की बात कही. इस पर कोर्ट में कहा कि सवाल कैडर का नहीं, काम और ज़िम्मेदारी का है.
राजस्थान विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कहा कि सत्ता आती-जाती रहती है. इंदिरा गांधी की सत्ता भी चली गई जबकि लोग कहते थे कि उन्हें कोई हटा नहीं सकता. एक दिन आप भी चले जाएंगे इसलिए हालात इतने भी न बिगाड़े कि सुधारा न जा सके.
भारतीय वायुसेना में एयरमैन ‘एक्स’ और ‘वाई’ समूह की भर्ती के लिए जुलाई 2021 में परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन परिणाम अब तक घोषित नहीं किया गया है. इस संबंध में एक उम्मीदवार को सूचना के अधिकार से जानकारी मिली है कि उक्त परीक्षा के लिए 6,34,249 आवेदन प्राप्त हुए थे और परिणाम जारी करने की प्रक्रिया संविदा आधारित ‘अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना’ के मद्देनज़र रोक दी गई है.
जालंधर में सेना के ज़ोनल भर्ती अधिकारी ने अधिकारियों को पत्र लिखकर चेताया है कि स्थानीय प्रशासन राज्य सरकार के निर्देशों या धन की कमी का हवाला देकर भर्ती रैलियों के आयोजन में पर्याप्त सहयोग नहीं दे रहा, जिसके चलते रैलियों को स्थगित किया जा सकता है या किसी पड़ोसी राज्य में स्थानांतरित कर सकते हैं.
नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खडके ने भारतीय राजदूत से कहा कि जब तक उनके देश के सभी राजनीतिक दल नई टूर-ऑफ-ड्यूटी योजना के बारे में आम सहमति नहीं बना लेते, तब तक नेपाली युवाओं की भारतीय सेना में भर्ती स्थगित रखी जानी चाहिए.
केंद्र ने संविदा आधारित अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना की घोषणा बीते 14 जून को की थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष लंबित उन सभी जनहित याचिकाओं को बीते 19 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया था, जिनमें इस योजना को चुनौती दी गई थी.
राजद नेता तेजस्वी यादव, आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह आदि ने केंद्र की मोदी सरकार पर इस मुद्दे पर तीखा हमला बोला है. यादव ने कहा कि जात न पूछो साधु की, लेकिन जात पूछो फौजी की. संघ की भाजपा सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है, लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आरोपों को ख़ारिज करते हुए इसे अफ़वाह बताया है.
संविदा आधारित अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना की घोषणा बीते 14 जून को की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने की बात सरकार द्वारा कही गई है.
निरस्त हो चुके तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर समिति का गठन किया गया और न ही आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज फ़र्ज़ी मामले वापस लिए गए हैं.
प्रस्ताव में कहा गया है कि पंजाब विधानसभा को दृढ़ता से लगता है कि जिस योजना में युवाओं को केवल चार साल की अवधि के लिए रोज़गार दिया जाएगा और केवल 25 प्रतिशत तक ही रखा जाएगा, वह न तो राष्ट्रीय सुरक्षा के सर्वोत्तम हित में है और न ही इस देश के युवाओं के हित में है.
किसी ग़रीब के लिए सैनिक बनना बुनियादी तौर पर दो वक़्त की रोटी से जुड़ा एक वास्तविक और कठोर सवाल है, जो देश की सेवा करने के मध्यवर्गीय रोमांटिक विचार से अलग है.