साल 2014 से लेकर अब तक दस राज्यों ने कुल 2.70 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण को माफ़ करने की घोषणा की थी, लेकिन इसमें से 1.59 लाख करोड़ रुपये के ही क़र्ज़ माफ़ हुए हैं. इसके साथ ही आंकड़े बताते हैं कि 2015 से 2020 के बीच किसानों के क़र्ज़ में लगभग 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
विशेष रिपोर्ट: द वायर द्वारा दायर की गई आरटीआई से ये जानकारी सामने आई है कि साल 2016 में सरकारी बैंकों द्वारा 78,322 खातों में, जोकि कृषि लोन पाने वाले कुल खातों का 0.15 फीसदी है, एक लाख 23 हज़ार करोड़ (12,34,81,89,70,000) रुपये डाले गए थे. ये राशि कुल दिए गए कृषि लोन का 18.10 फीसदी है.
विशेष रिपोर्ट: आरटीआई के जरिए यह सामने आया है कि साल 2016 में 615 खातों को औसतन 95 करोड़ से ज़्यादा का कृषि लोन दिया गया है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सस्ते दर और आसान नियमों के तहत किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारी भरकम लोन दिया जा रहा है.
वीडियो: मोदी सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में किए गए बदलाव और किसानों के मुद्दों पर स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव से कबीर अग्रवाल की बातचीत.
उपराष्ट्रपति ने कृषि में और अधिक सरकारी निवेश की हिमायत करते हुए कहा, किसानों की आय नहीं बढ़ी, वे कृषि छोड़ना चाहते हैं.
किसान आंदोलन को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ के पांच जिलों में धारा 144 लगा दी गई थी.
अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग उथली राजनीति है तो नरेंद्र मोदी का देश भर में घूम-घूम कर चुनावी सभाओं में वादा करना उथली राजनीति नहीं थी?
राज्य में ढाई साल में 11,826 आत्महत्या के मामले दर्ज हुए, जिनमें से 1271 किसान थे.
दुनिया के बीस बड़े प्रतिष्ठान खेती और कृषि बाज़ार पर अपना नियंत्रण चाहते हैं. भारत सरकार को अपना पक्ष तय करना होगा.
सरकार ने विधानसभा में बताया कि 2016 और 2017 में 30 जून तक छत्तीसगढ़ में 111 किसानों ने आत्महत्या की है.
दुनिया में सैकड़ों उदाहरण उपलब्ध हैं जहां महंगी रासायनिक खाद व कीटनाशकों के बिना अच्छी कृषि उत्पादकता प्राप्त की गई है.
वास्तव में किसानों से उपज खरीदने वालों से व्यापार में नैतिकता की अपेक्षा भर की जाती रही. सरकार ने यह कोशिश कभी नहीं की कि किसानों को उचित कीमतें मिलें.
किसान यात्रा में शामिल योगेंद्र यादव, मेधा पाटेकर समेत कई किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और उनके अगले पड़ाव पर छोड़ दिया.
मध्य प्रदेश में खुशहाली मंत्रालय है, राज्य को 4 बार कृषि कर्मण अवॉर्ड मिल चुका है, सरकार कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति का दावा करती है, फिर राज्य के किसान क़र्ज़ में कैसे डूबे हैं और वे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?
राज्य बनने के बाद तेलंगाना में 3000, मध्य प्रदेश में 21 दिन में 40, मराठवाड़ा में दो हफ़्ते में 42 और छत्तीसगढ़ में एक पखवाड़े में 12 किसानों ने आत्महत्या की है.