गांधी को एक व्यक्ति ने नहीं, एक विचारधारा ने मारा था…

पुस्तक समीक्षा: गांधी के विचारों से प्रतिक्रियावादी पीछा नहीं छुड़ा सकते इसलिए गांधी पर हमले जारी रहेंगे. ऐसे में 'उसने गांधी को क्यों मारा' की शक्ल में उनकी हत्या के इतिहास को उसके पूरे यथार्थ से बचाए रखना आने वाली पीढ़ियों की चेतना को कुंद किए जाने के ख़िलाफ़ एक मुनासिब कार्रवाई है.

75 साल पहले गांधी ने जिसे अनहोनी कहा था, वह आज घटित हो रही है

गांधी ने लिखा था कि कभी अगर देश की 'विशुद्ध संस्कृति' को हासिल करने का प्रयास हुआ तो उसके लिए इतिहास फिर से लिखना होगा. आज ऐसा हो रहा है. यह साबित करने के लिए कि यह देश सिर्फ़ हिंदुओं का है, हम अपना इतिहास मिटाकर नया ही इतिहास लिखने की कोशिश कर रहे हैं.

भगत सिंह को गांधी या नेहरू का विकल्प बताना भगत सिंह के साथ अन्याय करना है

ऐसा लगता है कि भगत सिंह के प्रति श्रद्धा वास्तव में गांधी-नेहरू से घृणा का दूसरा नाम है. जिनके वैचारिक पूर्वज ख़ुद को बचाते हुए अपने अनुयाइयों को भगत सिंह से दूर रहने की सलाह देते हुए दिन गुज़ारते रहे, उन्होंने अपनी कायर हिंसा को उचित ठहराने के लिए आज भगत सिंह को एक ढाल बना लिया है.

गांधी का वो उपवास, जो उनके लिए आख़िरी साबित हुआ

वीडियो: आज़ादी के बाद भारत में ख़ूनखराबे का सिलसिला जारी था. इसके विरोध में गांधीजी ने अपना आख़िरी उपवास 13 जनवरी 1948 को शुरू किया था. इस घटना पर इतिहासकार दिलीप सिमीओन से चर्चा कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद.

आज के दिन शुरू हुआ वो उपवास जो गांधीजी के लिए आख़िरी साबित हुआ

आज़ादी के बाद दिल्ली में ख़ूनखराबे का सिलसिला जारी था. इसके विरोध में गांधीजी ने 12 जनवरी 1948 को घोषणा की कि वह अगले दिन यानी 13 जनवरी से उपवास शुरू करेंगे.

हम गांधी के लायक कब होंगे?

गांधी गाय को माता मानते हुए भी उसकी रक्षा के लिए इंसान को मारने से इनकार करते हैं. उनके ही देश में गोरक्षकों ने पीट-पीट कर मारने का आंदोलन चला रखा है.