द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत के विधि आयोग को पत्र लिखकर समान नागरिक संहिता के प्रति अपना विरोध दोहराया है. पत्र में कहा गया है कि बहुसंख्यकवादी नैतिकता को एक संहिता के नाम पर व्यक्तिगत क़ानून, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों का हनन नहीं करना चाहिए.
2020 में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में देश में मुस्लिम महिलाओं के मस्जिदों में प्रवेश पर लगी कथित रोक को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए निर्देश देने का आग्रह किया गया था. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट से कहा है कि मुस्लिम महिलाएं मस्जिद में जाने के लिए स्वतंत्र हैं और यह उन पर निर्भर करता है कि वे वहां नमाज़ पढ़ने के हक़ का इस्तेमाल करना चाहती हैं या नहीं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस्लामी स्कॉलर्स और बुद्धिजीवियों से अपील करते हुए कहा कि ऐसी बहसों का हिस्सा न बनें जिनका उद्देश्य इस्लाम और मुसलमानों का मज़ाक उड़ाना है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस तरह की बहसों में भाग लेकर मुसलमान ख़ुद ही ख़ुद को ज़लील कराने का कारण बनते हैं.
शिक्षा मंत्रालय ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के बैनर तले 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक योजना बनाई है, जिसमें 30 हज़ार स्कूलों को शामिल किया जाएगा. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं. इसलिए सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देश वापस लेकर देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे.
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के रामसनेही घाट तहसील परिसर में स्थित मस्जिद को प्रशासन ने 17 मई की शाम को ढहा दिया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने एक सदी पुरानी मस्जिद को कथित रूप से ढहाए जाने पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए सरकार से इस वारदात के ज़िम्मेदार अफसरों को निलंबित कर मामले की न्यायिक जांच कराने और मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग की है.
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा नेताओं समेत 32 आरोपियों को बरी किए जाने पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि विशेष सीबीआई अदालत का यह फैसला ग़लत है. अदालत ने सबूतों को नज़रअंदाज़ कर यह निर्णय दिया है. वहीं राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई रहे इक़बाल अंसारी ने इस फैसले का स्वागत किया है.
कोर्ट ने कहा कि इन याचिकाओं में कोई मेरिट नहीं है. कई मुस्लिम पक्ष, 40 कार्यकर्ता, हिंदू महासभा और निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि विवादित ढांचे पर मुसलमानों का कोई अधिकार या मालिकाना हक़ नहीं है और इसलिए उन्हें पांच एकड़ ज़मीन आवंटित नहीं की जा सकती तथा किसी भी पक्षकार ने इस तरह की कोई ज़मीन मुसलमानों को आवंटित करने के लिए कोई अनुरोध या कोई दलील नहीं दी थी.
इससे पहले मूल वादकारियों में शामिल एम. सिद्दीक के वारिस और उत्तर प्रदेश जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने बीते दो दिसंबर को पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और अयोध्या विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर लिखा था कि उन्हें जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के इशारे पर उनके वकील एजाज़ मकबूल द्वारा इस मामले से हटा दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्हें जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के इशारे पर उनके वकील एजाज़ मकबूल द्वारा इस मामले से हटा दिया गया. उन्हें ऐसा करने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए बताई जा रही वजह दुर्भावना से भरी और झूठी है. अब वे इस मामले में दायर पुनर्विचार याचिका से किसी तरह से नहीं जुड़े हैं.
उत्तर प्रदेश जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यद्यपि अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के गुंबदों को नुकसान पहुंचाने और उसे गिराने का संज्ञान लिया, फिर भी विवादित स्थल को उसी पक्ष को सौंप दिया, जिसने अनेक ग़ैरक़ानूनी कृत्यों के आधार पर अपना दावा किया था.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में प्रमुख मुस्लिम पक्षकार रहे उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि बोर्ड के आठ में से सात सदस्यों ने हिस्सा लिया. उनमें से एक सदस्य को छोड़कर बाकी छह सदस्यों ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनौती न देने के प्रस्ताव का समर्थन किया.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में जो फैसला आया उसने न्याय नहीं किया.