इस बैठक में दिल्ली के अधिकरियों के अलावा पंजाब और हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये हिस्सा लिया. राज्यों के प्रमुख सचिवों से कहा गया है कि वे चौबीसो घंटे अपने जिलों की मॉनिटरिंग करें.
दिल्ली में भयानक प्रदूषण की वजह से एम्स अस्पताल में सांस और दिल के मरीजों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम व नियंत्रण) प्राधिकरण ने दिल्ली-एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा करते हुए पांच नवंबर तक सभी निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया. राजधानी दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 459 था. ग़ाज़ियाबाद में एक्यूआई 493 रहा, ग्रेटर नोएडा में 480, नोएडा में 477 और फरीदाबाद में 432 रहा.
दिल्ली सरकार ने स्कूलों से खुले में होने वाली सभी गतिविधियां रोकने को कहा. घातक प्रदूषण स्तर के चलते डॉक्टरों ने मास्क पहनकर चलने सहित कई सावधनियां बरतने का परामर्श जारी किया है. दफ़्तर आने जाने के समय में बदलाव करने पर हो रहा विचार.
रविवार रात 11 बजे दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता का स्तर यानी एक्यूआई 327 पर था. 2018 में दिवाली के बाद यह 600 के आंकड़े को पार कर गया था, जो सुरक्षित स्तर का बारह गुना है.
दिल्ली के मुख्य सचिव ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को उसके अधिकार क्षेत्रों में आने वाले इलाकों में अवैध रूप से मलबा डालने के लिए ज़िम्मेदार निजी एवं सरकारी एजेंसियों पर जुर्माना लगाने का निर्देश दिया. दीपावली से पहले दिल्ली में वाय प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. 26 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक नई दिल्ली के नेहरू नगर, अशोक विहार, जहांगीरपुरी, रोहिणी, वज़ीरपुर, बवाना, मुंडका और आनंद विहार में वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमश: 340, 335, 339, 349, 344, 363, 381 और 350 दर्ज किया गया.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पराली प्रदूषण से निपटने के लिए सात सूत्री कार्य योजना का उल्लेख किया. इसके तहत उन्होंने राजधानी दिल्ली में 4 से 15 नवंबर तक वाहनों के लिए ऑड-ईवन योजना लागू करने की घोषणा की.
विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषित दस शहरों में से सात शहर भारत से हैं. देश का हर शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य के लिए तय वायु प्रदूषण के सुरक्षित मानदंड से बाहर है. विश्व का हर दसवां अस्थमा का मरीज भारत से है, अगर अब भी नहीं जागे तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है.
अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों से आंशिक रूप से आफस्पा हटने समेत आज की बड़ी ख़बरें. दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर, 2019 रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में विश्व के 3.6 अरब लोग घर में होने वाले प्रदूषण से प्रभावित हुए. भारत में अभी भी 60 फीसदी, बांग्लादेश में 79 फीसदी और चीन में 32 फीसदी लोग ठोस ईंधन से खाना बना रहे हैं. इसकी वजह से घर के भीतर प्रदूषण बढ़ रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा निर्माण और बिक्री में शामिल लोगों का रोज़गार ख़त्म होने पर चिंता जताई. कोर्ट ने केंद्र सरकार से जानना चाहा कि क्या उसने पटाखों और वाहनों से होने वाले प्रदूषण के बीच कोई तुलनात्मक अध्ययन कराया है.
इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन, जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरैडो बॉल्डर के अध्ययन में कहा गया है कि साल 2010 से 2015 के बीच भारत में वाहनों से निकले धुएं से होने वाली मौतों में 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.
पर्यावरण वैज्ञानिक डॉक्टर सीमा जावेद ने कुंभ के दौरान इलाहाबाद की हवा इतनी खराब होने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि एनजीटी के आदेश के बावजूद इलाहाबाद में वायु की गुणवत्ता पर नजर रखने के सरकारी प्रयास नहीं हो रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, ‘मैं दिल्ली में बसना नहीं चाहता. दिल्ली में रहना मुश्किल है.’