झारखंड हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद में गुज़ारा-भत्ता राशि में संशोधन को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एक संतुलन बनाने पर ज़ोर दिया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि पत्नी को दिया जाने वाला गुज़ारा भत्ता बहुत अधिक न हो, जिससे पति को कठिनाई हो, न ही कम हो, जो पत्नी को ग़रीबी में धकेल दे.
हाईकोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के हक़ में महत्वपूर्ण फ़ैसला देते हुए कहा है कि तलाक़शुदा मुस्लिम महिलाओं को भी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पति से गुज़ारा-भत्ता पाने का अधिकार है और वे इद्दत की अवधि के बाद भी इसे प्राप्त कर सकती हैं. हालांकि यह हक़ उन्हें तब ही तक है, जब तक वे दूसरी शादी नहीं करतीं.
मामला चेन्नई का है, जहां एक महिला ने 2009 में अपने पति के ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था. पत्नी को गुज़ारा भत्ता न देने के संबंधी सुनवाई में शीर्ष अदालत ने इस शख़्स को अलग रह रही पत्नी को 2.60 करोड़ रुपये की बकाया राशि और मासिक गुज़ारे भत्ते के तौर पर 1.75 लाख रुपये देने का आदेश दिया है.