सुप्रीम कोर्ट में अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 लोगों के किसी भी वर्ग के सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है और यह संविधान की मूलभूत विशेषताओं पर आधारित है, जो संशोधन योग्य नहीं हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भाजपा नीत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मदरसों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने पर चिंता व्यक्त की है. संगठन ने आरोप लगाया कि आरएसएस से प्रभावित भाजपा की केंद्र और कुछ राज्यों की सरकारें अल्पसंख्यकों, ख़ासकर मुस्लिम समुदाय के प्रति नकारात्मक रुख़ अपना रही हैं.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर जो लोग शांतिपूर्वक विरोध जता रहे थे, उनके ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए जा रहे हैं, लाठीचार्ज किया जा रहा है और उनके घर तोड़े जा रहे हैं. जब तक कि किसी व्यक्ति को अदालत में दोषी नहीं पाया जाता, वह केवल आरोपी होता है. वहीं जमीयत ने कहा है कि पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल के किशोरों से दुश्मनों जैसा व्यवहार किया. यह बहुत ही दुखद है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस्लामी स्कॉलर्स और बुद्धिजीवियों से अपील करते हुए कहा कि ऐसी बहसों का हिस्सा न बनें जिनका उद्देश्य इस्लाम और मुसलमानों का मज़ाक उड़ाना है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस तरह की बहसों में भाग लेकर मुसलमान ख़ुद ही ख़ुद को ज़लील कराने का कारण बनते हैं.
मुसलमानों के प्रमुख संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि इबादतगाहों को लेकर निचली अदालतें जिस तरह से फैसले ले रही हैं, वह अफ़सोस की बात है. बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतज़ामिया मस्जिद कमेटी को विधिक सहायता मुहैया कराने का फैसला किया है. इस बीच हिंदू पक्ष ने कहा है कि शिवलिंग फव्वारा है तो चला कर दिखाएं. इस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वह इसके लिए तैयार है.
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में कथित तौर पर शिवलिंग मिलने के संबंध में टिप्पणी करने के आरोप में गुजरात में एआईएमआईएम के नेता दानिश क़ुरैशी और नागपुर में एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है. लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत चंदन पर इस बारे में कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद एक छात्र द्वारा हमला करने के मामला सामने आया है. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की याचिका में कहा गया है कि यह मुस्लिम लड़कियों के खिलाफ ‘प्रत्यक्ष भेदभाव’ का मामला है. कहा गया है कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली से एक वर्ग के भेदभाव, बहिष्कार और समग्र रूप से वंचित होने के अलावा किसी व्यक्ति के पवित्र धार्मिक विश्वास का गंभीर रूप से अतिक्रमण करता है. हाईकोर्ट ने बीते दिनों कक्षाओं में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी.
शिक्षा मंत्रालय ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के बैनर तले 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक योजना बनाई है, जिसमें 30 हज़ार स्कूलों को शामिल किया जाएगा. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं. इसलिए सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देश वापस लेकर देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे.
कोर्ट ने कहा कि इन याचिकाओं में कोई मेरिट नहीं है. कई मुस्लिम पक्ष, 40 कार्यकर्ता, हिंदू महासभा और निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि विवादित ढांचे पर मुसलमानों का कोई अधिकार या मालिकाना हक़ नहीं है और इसलिए उन्हें पांच एकड़ ज़मीन आवंटित नहीं की जा सकती तथा किसी भी पक्षकार ने इस तरह की कोई ज़मीन मुसलमानों को आवंटित करने के लिए कोई अनुरोध या कोई दलील नहीं दी थी.
इससे पहले मूल वादकारियों में शामिल एम. सिद्दीक के वारिस और उत्तर प्रदेश जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने बीते दो दिसंबर को पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और अयोध्या विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर लिखा था कि उन्हें जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के इशारे पर उनके वकील एजाज़ मकबूल द्वारा इस मामले से हटा दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्हें जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के इशारे पर उनके वकील एजाज़ मकबूल द्वारा इस मामले से हटा दिया गया. उन्हें ऐसा करने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए बताई जा रही वजह दुर्भावना से भरी और झूठी है. अब वे इस मामले में दायर पुनर्विचार याचिका से किसी तरह से नहीं जुड़े हैं.
उत्तर प्रदेश जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यद्यपि अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के गुंबदों को नुकसान पहुंचाने और उसे गिराने का संज्ञान लिया, फिर भी विवादित स्थल को उसी पक्ष को सौंप दिया, जिसने अनेक ग़ैरक़ानूनी कृत्यों के आधार पर अपना दावा किया था.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में प्रमुख मुस्लिम पक्षकार रहे उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि बोर्ड के आठ में से सात सदस्यों ने हिस्सा लिया. उनमें से एक सदस्य को छोड़कर बाकी छह सदस्यों ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनौती न देने के प्रस्ताव का समर्थन किया.