शीर्ष मुस्लिम नेताओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में हिंदू पूजा की अनुमति देने वाले वाराणसी अदालत के फैसले पर निराशा व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि (अब ध्वस्त) बाबरी मस्जिद स्थल को हिंदू पक्ष को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हिंदुत्ववादी ताक़तों को देश भर में मुस्लिम पूजा स्थलों पर दावा करने का रास्ता दिखा दिया है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत के विधि आयोग को पत्र लिखकर समान नागरिक संहिता के प्रति अपना विरोध दोहराया है. पत्र में कहा गया है कि बहुसंख्यकवादी नैतिकता को एक संहिता के नाम पर व्यक्तिगत क़ानून, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों का हनन नहीं करना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिए एक भाषण में समान नागरिक संहिता की पुरज़ोर वकालत की थी. इस पर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने कहा है कि वे कई मोर्चों पर उनकी सरकार की विफलता से ध्यान भटकाने के लिए विभाजनकारी राजनीति का सहारा ले रहे हैं.
जाने-माने अधिवक्ता ज़फ़रयाब जिलानी बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव और अयोध्या मामले से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे.
मामला कानपुर का है. पिछले हफ्ते ईद पर ईदगाह के बाहर एक सड़क पर बिना इजाजत नमाज अदा करने के आरोप में बजरिया, बाबू पुरवा और जाजमऊ थाने में अलग-अलग एफ़आईआर दर्ज की गई हैं. इससे नाराज़ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य ने कहा कि उन्हें धर्म के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है.
2020 में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में देश में मुस्लिम महिलाओं के मस्जिदों में प्रवेश पर लगी कथित रोक को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए निर्देश देने का आग्रह किया गया था. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट से कहा है कि मुस्लिम महिलाएं मस्जिद में जाने के लिए स्वतंत्र हैं और यह उन पर निर्भर करता है कि वे वहां नमाज़ पढ़ने के हक़ का इस्तेमाल करना चाहती हैं या नहीं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि देश के संविधान में बुनियादी अधिकारों में हर व्यक्ति को अपने धर्म पर अमल करने की आज़ादी दी गई है. इसलिए हुकूमत से अपील है कि वह आम नागरिकों की मज़हबी आज़ादी का एहतराम करे, क्योंकि समान नागरिक संहिता लागू करना अलोकतांत्रिक होगा.
सुप्रीम कोर्ट में अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 लोगों के किसी भी वर्ग के सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है और यह संविधान की मूलभूत विशेषताओं पर आधारित है, जो संशोधन योग्य नहीं हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भाजपा नीत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मदरसों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने पर चिंता व्यक्त की है. संगठन ने आरोप लगाया कि आरएसएस से प्रभावित भाजपा की केंद्र और कुछ राज्यों की सरकारें अल्पसंख्यकों, ख़ासकर मुस्लिम समुदाय के प्रति नकारात्मक रुख़ अपना रही हैं.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर जो लोग शांतिपूर्वक विरोध जता रहे थे, उनके ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए जा रहे हैं, लाठीचार्ज किया जा रहा है और उनके घर तोड़े जा रहे हैं. जब तक कि किसी व्यक्ति को अदालत में दोषी नहीं पाया जाता, वह केवल आरोपी होता है. वहीं जमीयत ने कहा है कि पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल के किशोरों से दुश्मनों जैसा व्यवहार किया. यह
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस्लामी स्कॉलर्स और बुद्धिजीवियों से अपील करते हुए कहा कि ऐसी बहसों का हिस्सा न बनें जिनका उद्देश्य इस्लाम और मुसलमानों का मज़ाक उड़ाना है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस तरह की बहसों में भाग लेकर मुसलमान ख़ुद ही ख़ुद को ज़लील कराने का कारण बनते हैं.
मुसलमानों के प्रमुख संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि इबादतगाहों को लेकर निचली अदालतें जिस तरह से फैसले ले रही हैं, वह अफ़सोस की बात है. बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतज़ामिया मस्जिद कमेटी को विधिक सहायता मुहैया कराने का फैसला किया है. इस बीच हिंदू पक्ष ने कहा है कि शिवलिंग फव्वारा है तो चला कर दिखाएं. इस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वह इसके लिए तैयार है.
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में कथित तौर पर शिवलिंग मिलने के संबंध में टिप्पणी करने के आरोप में गुजरात में एआईएमआईएम के नेता दानिश क़ुरैशी और नागपुर में एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है. लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत चंदन पर इस बारे में कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद एक छात्र द्वारा हमला करने के मामला सामने आया है. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की याचिका में कहा गया है कि यह मुस्लिम लड़कियों के खिलाफ ‘प्रत्यक्ष भेदभाव’ का मामला है. कहा गया है कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली से एक वर्ग के भेदभाव, बहिष्कार और समग्र रूप से वंचित होने के अलावा किसी व्यक्ति के पवित्र धार्मिक विश्वास का गंभीर रूप से अतिक्रमण करता है. हाईकोर्ट ने बीते दिनों कक्षाओं में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी.
शिक्षा मंत्रालय ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के बैनर तले 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक योजना बनाई है, जिसमें 30 हज़ार स्कूलों को शामिल किया जाएगा. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं. इसलिए सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देश वापस लेकर देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे.