इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस कृष्ण पहल ने एक आदेश में कहा कि रेप समेत विभिन्न अपराधों के पीड़ितों को मेडिको-लीगल रेडियोलॉजिकल जांच में देरी के कारण अनुचित उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, जो मुख्य रूप से राज्य भर के विभिन्न ज़िलों में रेडियोलॉजिस्ट की ग़ैर-मौजूदगी के चलते है.
मामला साल 2001 का है. सुल्तानपुर में पूर्व समाजवादी पार्टी विधायक अनूप संडा के नेतृत्व में एक विरोध प्रदर्शन किया गया था, जिसमें संजय सिंह समेत पूर्व पार्षद कमल श्रीवास्तव, विजय कुमार, संतोष और सुभाष चौधरी शामिल हुए थे. इन चारों के ख़िलाफ़ भी अदालत में मामला चल रहा है.
बीते हफ्ते एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि अयोध्या के आर्मी बफर जोन में उद्योगपति गौतम अडानी, धार्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और योग गुरु व कारोबारी रामदेव से जुड़े लोगों ने ज़मीन खरीदी है और राज्यपाल ने इस भूमि को ग़ैर-अधिसूचित किया है.
हाई कोर्ट को हाल ही में सूचित किया गया था कि 2020 में सामूहिक बलात्कार और हत्या की शिकार 19 वर्षीय दलित युवती के परिवार के सदस्यों को सुरक्षा कारणों से दैनिक आवाजाही में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
भाजपा के पूर्व विधायक और इलाहाबाद के प्रभावशाली नेता उदयभान करवरिया और उनके दो भाइयों को को 2019 में सपा के पूर्व विधायक जवाहर यादव की हत्या के लिए दोषी क़रार दिया गया था. उनकी समय-पूर्व रिहाई के कारणों में पुलिस और डीएम ने उनके 'अच्छे बर्ताव' का हवाला दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान द्वारा दिया गया अधिकार यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी धार्मिक मान्यताओं को चुनने, पालन करने की स्वतंत्रता है. हालांकि, इस अधिकार को दूसरों को अपने धर्म में परिवर्तित करने के हक़ के रूप में नहीं देखा जा सकता.
जहां मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बिना धर्म परिवर्तन के एक मुस्लिम पुरुष और हिंदू महिला के बीच शादी को अमान्य बताया है, वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शादी के लिए धर्म बदलना ज़रूरी नहीं है और अलग धर्म में आस्था रखने वाले जोड़े विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी कर सकते हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह बात एक ऐसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कही जिसमें नाबालिग के साथ बलात्कार करने के आरोपी ने दावा किया था कि उसका पीड़िता के साथ समझौता हो गया है, इसलिए उसके ख़िलाफ़ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाई जाए.
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बीते 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा अधिनियम, 2004 को रद्द करते हुए इसे असंवैधानिक घोषित किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर चिंता यह सुनिश्चित करने की है कि मदरसों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, तो इसका उपाय अधिनियम को रद्द करना नहीं होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए शादियों में ‘अनियंत्रित और अनुचित’ फायरिंग के विनाशकारी परिणामों का ज़िक्र करते हुए कहा कि समारोहों के दौरान जश्न में फायरिंग करना दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन प्रचलित प्रथा है.
हिरासत में मौत के मामले में एक पुलिस कॉन्स्टेबल को दी गई ज़मानत रद्द करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारी एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक प्रभाव डाल सकता है.
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मथुरा के शाही ईदगाह के परिसर में ‘कृष्ण कूप’ में पूजा की मांग करने वाली एक याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा कि आवेदन पर कोई आदेश पारित न किया जाए क्योंकि मस्जिद के अस्तित्व से संबंधित मूल मुक़दमा ही इस अदालत के समक्ष लंबित है.
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