संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को पलटने से संबंधित निर्णय को महिलाओं के मानवाधिकारों और लैंगिक समानता के लिए 'बड़ा झटका' क़रार दिया है. वहीं यूएन विमेन ने कहा कि जब गर्भपात के लिए सुरक्षित और क़ानूनी पहुंच प्रतिबंधित की जाती है, तब महिलाएं कम सुरक्षित तरीकों का सहारा लेने के लिए मजबूर होती हैं, जिसके नतीजे विनाशकारी होते हैं.
1973 के रो बनाम वेड फ़ैसले में कहा गया था कि गर्भपात कराना या न कराना, तय करना महिलाओं का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट के इसे पलट देने के बाद देश के आधे राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध की संभावना है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कोर्ट के निर्णय को ग़लत बताते हुए कहा कि नेताओं को एक महिला और उसके डॉक्टर्स के बीच हुए फ़ैसलों में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जाएगी.
जब भी स्त्री अधिकारों की बात होगी, तो अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की जज रूथ बेदर गिंसबर्ग का नाम ज़रूर आएगा. रूथ ने न केवल अपने काम से लाखों औरतों को प्रेरित किया, बल्कि अपने फ़ैसलों के ज़रिये उनके लिए संभावनाओं के नए द्वार भी खोले, जो लैंगिक भेदभाव के चलते बंद थे.