प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक कहीं कवरेज की भूख मिटाने का प्रयोजन तो नहीं है

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक हुई है. इस सवाल को रैली में कितने लोग आए, कितने नहीं आए इसे लेकर ज़्यादा बहस की ज़रूरत नहीं. सुरक्षा इंतज़ामों में पंजाब सरकार की भूमिका हो सकती है लेकिन यह एसपीजी के अधीन होती है. प्रधानमंत्री कहां जाएंगे और उनके बगल में कौन बैठेगा यह सब एसपीजी तय करती है. इसलिए सबसे पहले कार्रवाई केंद्र सरकार की तरफ से होनी चाहिए.

पश्चिम बंगाल: राज्य भाजपा में मनमुटाव के बीच केंद्रीय मंत्री ने पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप छोड़े

बीते कुछ हफ़्तों में भाजपा के नौ विधायकों ने पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप छोड़े थे, जिनमें से पांच- मुकुटमोनी अधिकारी, सुब्रत ठाकुर, अंबिका रॉय, अशोक कीर्तनिया और असीम सरकार उन्हें राज्य समिति से बाहर निकालने जाने से असंतुष्ट हैं. इनमें से अधिकतर मतुआ समुदाय से हैं.

मैंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि 500 किसान मर गए तो वो बोले क्या मेरे लिए मरे: सत्यपाल मलिक

हरियाणा के चरखी दादरी में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि जब वे कृषि क़ानूनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले तब 'वे बहुत घमंड में थे.' मलिक यह भी कहा कि आगे अगर सरकार किसानों के ख़िलाफ़ कोई क़दम लेगी तो वे इसका विरोध करेंगे और अपना पद छोड़ने से भी पीछे नहीं हटेंगे.

मोदी और उनका हिंदुत्व ब्रिटिश राज और उसकी नीतियों के साक्षात वंशज हैं…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनेक नीतियां अंग्रेजों के साम्राज्यवादी शासन से निकली हैं और उनसे असंतोष ज़ाहिर करने वालों को एक ख़तरे के तौर पर देखती हैं, ठीक वैसे ही जैसे अंग्रेज़ देखा करते थे.

मतदाताओं को लुभाने की होड़ में राजनीतिक दलों के बीच कोई ख़ास वैचारिक अंतर नहीं है

वर्तमान भारतीय राजनीति में प्रत्येक दल ख़ुद का सफल फॉर्मूला ईजाद करने की कवायद में दूसरे दल से कुछ न कुछ उधार लेने की कोशिश कर रहा है. आज भारतीय लोकतंत्र कम हो रहे राजनीतिक विकल्पों और इन विकल्पों के अभाव में अपने आप को ही विकल्प समझ लेने वालों से भरा पड़ा है.

नगालैंड गोलीबारी में जिन लोगों की मौत हुई उनके परिवारों ने मुआवज़ा ठुकराया, न्याय की मांग की

पीड़ित परिवारों ने एक बयान में कहा है कि भारतीय सशस्त्र बल के 21वें पैरा कमांडो के दोषियों को नागरिक संहिता के तहत न्याय के कटघरे में लाने और पूरे पूर्वात्तर क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफस्पा) को हटाने तक वे मुआवज़ा स्वीकार नहीं करेंगे. नगालैंड के मोन ज़िले में चार से पांच दिसंबर के दौरान एक असफल उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों की जान चली गई थी.

नगालैंड के लोगों की मौत पर अमित शाह अपना भ्रामक बयान वापस लेकर माफ़ी मांगेंः कोन्यक यूनियन

नगालैंड में कोन्यक जनजाति का शीर्ष संगठन ‘कोन्यक यूनियन’ ने मोन ज़िले में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 नागरिकों के मौत पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दावे ‘ग़लत पहचान’ और सुरक्षा बलों द्वारा ‘आत्मरक्षा’ में आम लोगों पर गोली चलाने के तर्क को भी ख़ारिज किया और कहा कि उन्हें कोन्यक और नगालैंड के लोगों से माफ़ी मांगनी चाहिए.

मणिपुरः सेना की गोलीबारी से लोगों की मौत पर प्रदर्शन, आफ़स्पा हटाने के लिए पीएम मोदी को ज्ञापन

बीते चार दिसंबर को नगालैंड के मोन ज़िले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में 14 आम लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छह दिसंबर को संसद में कहा था कि सैन्यबल के इशारे पर गाड़ी न रुकने के बाद फायरिंग की गई थी. विभिन्न संगठन उनके इस बयान को झूठ बताते हुए इसकी निंदा कर रहे हैं.

नगालैंड: आफ़स्पा के बावजूद बीते 28 सालों में राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन नहीं हुआ

राष्ट्रमंडल देशों में रहने वालों के अधिकारों के लिए काम करने वाली ग़ैर-सरकारी संस्था कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव ने हाल ही में सुरक्षा बलों के हाथों 14 नागरिकों की मौत को लेकर राज्य में तत्काल मानवाधिकार आयोग के गठन की मांग की है.

आफ़स्पा के साये में शांति वार्ता संभव नहीं, शाह का बयान ‘गैर-ज़िम्मेदाराना’: एनएससीएन-आईएम

केंद्र के साथ नगा राजनीतिक वार्ता में प्रमुख वार्ताकार एनएससीएन-आईएम ने कहा है कि आफ़स्पा के कारण नगाओं को कई मौकों पर कड़वा अनुभव मिला है. इसने काफ़ी ख़ून बहाया है. ख़ून और राजनीतिक बातचीत एक साथ नहीं चल सकती. वहीं मेघालय में भाजपा की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी ने भी बयान दिया है कि सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों के मौत पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है.

नगालैंड हिंसा: जानिए क्या है पूरा घटनाक्रम

वीडियो: बीते चार दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में 14 आम लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद विभिन्न छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों ने सेना को विशेष अधिकार देने वाले आफ़स्पा हटाने की मांग की है. 

हैदरपोरा एनकाउंटर: पीड़ित परिवार ने शव मांगा, कहा- आख़िरी बार चेहरा देखना चाहते हैं

जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के हैदरपोरा में बीते 15 नवंबर को हुए एनकाउंटर में मोहम्मद आमिर मागरे और तीन अन्य की मौत हो गई थी. पुलिस इनके आतंकी या उनका सहयोगी होने का दावा कर रही है. लेकिन पीड़ित परिवार का कहना है कि वे निर्दोष थे. पुलिस ने बीते नवंबर महीने में ही इस एनकाउंटर में मारे गए दो आम नागरिकों के शव उनके परिजनों को लौटा चुकी है.

गुजरात: अमित शाह के लोकसभा क्षेत्र में भाजपा ‘अनुच्छेद 370’ आधारित स्पोर्ट्स टूर्नामेंट कराएगी

गुजरात में अमित शाह के प्रतिनिधित्व वाले लोकसभा क्षेत्र गांधीनगर में भाजपा ‘गांधीनगर लोकसभा प्रीमियर लीग 370’ या ‘जीएलपीएल 370’ के नाम से क्रिकेट और कबड्डी में टूर्नामेंट का आयोजन कराने जा रही है. इसका मक़सद अधिक से अधिक युवाओं को पार्टी की ओर आकर्षित करना है.

हैदरपोरा मुठभेड़: दो मृत नागरिकों के शव क़ब्र से निकालकर दोबारा सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया

बीते 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान दो संदिग्ध आतंकियों के साथ ही दो नागरिकों की भी मौत हुई थी. अधिकारियों ने बताया कि दफनाए दिए गए इन शवों को बृहस्पतिवार को अधिकारियों ने बाहर निकाला था ताकि उन्हें उनके परिवार को सौंपा जा सके. कोविड-19 महामारी के बाद यह पहला मौका है, जब पुलिस की निगरानी में दफनाए गए शवों को वापस निकाल कर उनके परिजन को लौटाया गया.

हैदरपोरा मुठभेड़: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए

बीते 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान दो संदिग्ध आतंकियों के साथ ही दो नागरिकों की भी मौत हुई थी. पुलिस ने आतंकियों का सहयोगी बताया था, वहीं इनके परिवारों का कहना है कि वे आम नागरिक थे. चार में से तीन के परिजनों द्वारा प्रदर्शनों के बीच मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं.

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