इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि गोहत्या निषेध कानून-1956 के तहत जीवित गाय/बैल को अपने पास रखना अपराध करने, उकसाने या अपराध करने का प्रयास नहीं हो सकता है. उत्तर प्रदेश की सीमा के भीतर गाय को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना इसके दायरे में नहीं आता.
वीडियो: बीते दिनों यूपी पुलिस ने बताया था कि आगरा में रामनवमी पर गोक़शी की एक वारदात को लेकर अखिल भारत हिंदू महासभा के पदाधिकारियों ने कुछ मुस्लिम युवकों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई थी. बाद में पुलिस ने पाया कि इसी संगठन के सदस्यों ने मुस्लिम युवकों को फंसाने के लिए गाय की हत्या कर साज़िश रची थी. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले का मामला. रामनवमी पर गोकशी की वारदात हुई थी और गोमांस बरामद हुआ था. इस संबंध में अखिल भारत हिंदू महासभा के पदाधिकारियों ने कुछ मुस्लिम युवकों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई थी. हालांकि कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि आरोपी घटनास्थल पर एक महीने से अधिक समय से गए ही नहीं थे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी गोहत्या निवारण अधिनियम के कई प्रावधानों के तहत दर्ज एक अभियुक्त को अग्रिम ज़मानत देते हुए इस क़ानून के ‘दुरुपयोग’ के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई और कहा कि जांच अधिकारियों ने निष्पक्ष जांच नहीं की. इस संबंध में दर्ज एफ़आईआर केवल आशंका और संदेह पर आधारित है.
मामला उत्तर प्रदेश के मऊ ज़िले का है, जहां प्रशासन ने 16 दिसंबर 2019 को कथित रूप से एक हिंसक प्रदर्शन में शामिल होने के कारण छह लोगों के ख़िलाफ़ एनएसए के तहत हिरासत आदेश जारी किया था. कोर्ट ने इसे ग़ैरक़ानूनी क़रार दिया है.
ये मामला उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले का है, जहां पिछले साल जुलाई में कथित गोहत्या के आरोप में इरफ़ान, रहमतुल्लाह और परवेज़ को गिरफ़्तार किया गया था. ये पहला मौका नहीं है जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (एनएसए) के इस्तेमाल पर सवाल उठाया है, जो राज्य को बिना औपचारिक आरोप या सुनवाई के गिरफ़्तारी का अधिकार देता है.
मध्य प्रदेश सरकार ने गोवंश वध निषेध अधिनियम 2004 में संशोधन को मंजूरी दी है. इस विधेयक को सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में पेश कर पारित कराना चाहती है.