चौतरफा फैले मुस्लिम विरोधी ज़हर के बीच क्या सोचते हैं मुसलमान?

पिछले लगभग एक दशक से व्यवस्था और समाज के कमोबेश हर स्तर पर मुस्लिमों को अलग-थलग करने का सुनियोजित प्रयास चल रहा है. उनके ख़िलाफ़ नफ़रत और हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में आम मुसलमान विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में ख़ुद को कहां पाता है?

बहिश्ती ज़ेवर विवाद: मुस्लिमों के दानवीकरण की दक्षिणपंथी योजना में किताबों को लपेटने की कोशिश

दक्षिणपंथी स्तंभकार मधु किश्वर के 'मानुषी' ट्रस्ट ने दारुल उलूम देवबंद में 'बहिश्ती ज़ेवर' नाम की किताब पढ़ाए जाने का दावा करते हुए कहा था कि इसमें यौन हिंसा और यौन अपराध को वैध बताने की कोशिश की गई है. हालांकि, सच यह है कि यह किताब दारुल उलूम के पाठ्यक्रम में ही शामिल नहीं हैं.