अब जम्मू कश्मीर प्रशासन तय करेगा फेक न्यूज़ और राष्ट्र विरोधी पत्रकारों की परिभाषा

दो जून को जारी जम्मू कश्मीर की नई मीडिया नीति के अनुसार, सरकार अख़बारों और अन्य मीडिया चैनलों पर आने वाली सामग्री की निगरानी कर यह तय करेगी कि कौन-सी ख़बर 'फेक, एंटी सोशल या एंटी-नेशनल' है. ऐसा पाए जाने पर संबंधित संस्थान को सरकारी विज्ञापन नहीं दिए जाएंगे, साथ ही उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी.

संविधान जजों का पवित्र ग्रंथ, न्याय का पलड़ा वंचितों की ओर झुका होना चाहिए: जस्टिस दीपक गुप्ता

अपने विदाई भाषण में जस्टिस दीपक गुप्ता ने पूरी न्यायिक व्यवस्था में मानवीय मूल्यों को स्थापित करने की बात की. उन्होंने कहा कि वकील अपने मुवक्किल से बेतहाशा फीस नहीं ले सकते हैं.

असहमति का अधिकार लोकतंत्र के लिए आवश्यक है: जस्टिस दीपक गुप्ता

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित ‘लोकतंत्र और असहमति’ पर एक व्याख्यान देते हुए जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि अगर यह भी मान लिया जाए कि सत्ता में रहने वाले 50 फीसदी से अधिक मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं तब क्या यह कहा जा सकता है कि बाकी की 49 फीसदी आबादी का देश चलाने में कोई योगदान नहीं है?

असहमति या विरोध को एंटी नेशनल बताना लोकतंत्र के मूल विचार पर चोट: जस्टिस चंद्रचूड़

अहमदाबाद में हुए एक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि असहमति पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल डर की भावना पैदा करता है जो क़ानून के शासन का उल्लंघन है.

‘एंटी-नेशनल’ का तमगा बांटने वाले समूह को आरएसएस की मीडिया इकाई ने दिया पत्रकारिता सम्मान

आरएसएस से संबद्ध इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र ने सोशल मीडिया समूह 'क्लीन द नेशन' को सोशल मीडिया नारद पत्रकारिता अवॉर्ड से सम्मानित किया है.

भाजपा को आतंकवाद और राष्ट्रवाद पर गाल बजाना बंद करना चाहिए

कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में आफ्स्पा और राजद्रोह क़ानून में बदलाव की बात कही है, जिस पर प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि आफ्स्पा में सुधार से सेना का मनोबल गिरेगा. सोचने वाली बात है कि अगर सैनिकों के अधिकारों पर यह सीमा तय हो कि किसी भी नागरिक को सिर्फ शक़ के बिना पर मारने, गायब करने या किसी महिला के साथ यौन हिंसा की शिक़ायत होने पर उन्हें क़ानूनी संरक्षण नहीं मिलेगा तो इसमें सेना का मनोबल कैसे

मोदी की भाजपा पर लिखे आडवाणी के ब्लॉग में इंदिरा के ख़िलाफ़ लिखे उनके लेखों की झलक है

भाजपा के संस्थापक ने विरोधियों को एंटी-नेशनल कहने पर आपत्ति जताई है, जो मोदी-शाह की रणनीति और अभियान का प्रमुख तत्व रहा है. ऐसा ही कुछ लालकृष्ण आडवाणी ने 1970 के दशक के मध्य में आपातकाल के समय जेल में बंद होने के दौरान भी लिखा था.

द वायर बुलेटिन: लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, राजनीतिक रूप से असहमति जताने वाले लोग राष्ट्र विरोधी नहीं

टिकट पर भाजपा के अनिर्णय के बाद सुमित्रा महाजन द्वारा लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा समेत आज की बड़ी ख़बरें. दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.

राष्ट्रवाद की आड़ लेकर सवालों को दबाया जा रहा है

मीडिया का एक बड़ा तबका, जिसका धर्म सत्ता में बैठे लोगों से सवाल पूछना होना चाहिए, घुटने टेक चुका है और देश के कुछ सबसे शक्तिशाली लोगों ने चुप्पी ओढ़ ली है, लेकिन आम लोग ऐसा नहीं करने वाले हैं. उनकी आवाज़ ऊंचे तख़्तों पर बैठे लोगों को सुनाई नहीं देती, लेकिन जब वक़्त आता है वे अपना फ़ैसला सुनाते हैं.

अमित शाह ने कहा, बालाकोट में 250 आतंकी मारे गए, कांग्रेस ने पूछा- संख्या किसने बताई

कांग्रेस ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को यह बताना चाहिए कि बालाकोट में वायुसेना की कार्रवाई में मारे गए आतंकवादियों की संख्या उन्हें किसने बताई. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री देश को सच बताएं.

संपादकीय: भारत-पाकिस्तान को अब आपसी तनाव कम करने पर ज़ोर देना चाहिए

पाकिस्तान का दायित्व है कि वो अपनी ज़मीन पर पनप रहे आतंकी समूहों के ख़िलाफ़ कदम उठाए. प्रधानमंत्री इमरान खान को यह समझना होगा कि उनके ऐसा न करने की स्थिति में बातचीत के प्रस्ताव से कुछ हासिल नहीं होगा.

बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक के संबंध में जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि बालाकोट में हवाई हमलों के बाद हमें बताया गया कि 300 मौतें हुईं, लेकिन मैंने कई ऐसी ख़बरें पढ़ीं जिनमें कहा गया कि कोई इंसान नहीं मारा गया.

क्या हमारी सेना का इस्तेमाल एक राजनीतिक दल के हितों के लिए किया जा रहा है?

भारतीय प्रधानमंत्री ने 'पायलट प्रोजेक्ट' वाला बयान देकर साबित किया कि घृणा से गढ़े गए स्वभाव की तुच्छता किसी भी क्षण की गंभीरता और किसी पद की गरिमा से बाधित नहीं होती.

भारत जैसे देश में सिर्फ़ संविधान की सीमाओं में रहकर ही हम आगे बढ़ सकते हैं

आज़ादी के इतिहास को देखने पर यह पता चलता है कि तत्कालीन नेताओं ने आज़ादी को प्राप्त करने हेतु अपने-अपने मार्गों पर चलने का कार्य किया परंतु एक मार्ग पर चलने वाले ने दूसरे मार्ग पर चलने वाले नेताओं को कभी भी राष्ट्रद्रोही नहीं कहा.