जनता जागरूक तभी हो सकती है जब वह बाख़बर हो. पिछले 7 सालों से भारत की जनता के बड़े हिस्से तक पहुंच रखने वाले समाचार-समूहों ने जैसे तय कर लिया है कि वह उसे वो ख़बर नहीं देंगे जो उसके जनतांत्रिक नागरिक के दर्जे पर असर डालने वाली होगी. इतना ही नहीं वे सूचना को विकृत करके जनता तक पहुंचाते हैं.
पेगासस प्रोजेक्ट: एनएसओ ग्रुप के ग्राहक देशों द्वारा इस्तेमाल किए गए फोन नंबरों का लीक डेटा बताता है कि कम से कम एक शाही परिवार प्रमुख और वर्तमान में कार्यरत तीन राष्ट्रपतियों व तीन प्रधानमंत्रियों को पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये होने वाली संभावित हैकिंग के लिए चुना गया था.
पेगासस स्पायवेयर बनाने वाले इज़रायल के एनएसओ समूह के सह-संस्थापक शैलेव हुलियो ने पेगासस संबंधी जासूसी से जुड़े मानवाधिकार हनन के आरोपों पर कहा है कि वे हर आरोप की जांच कर रहे हैं और अगर इन्हें सच पाया गया, तो वे कड़ी कार्रवाई करेंगे.
इज़रायली स्पायवेयर पेगासस के ज़रिये राहुल गांधी समेत कई प्रमुख हस्तियों, पत्रकारों आदि की कथित तौर पर जासूसी किए जाने के मामले को लेकर कांग्रेस के अलावा अन्य दलों ने भी केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है. सरकार ने अपने स्तर पर ख़ास लोगों पर निगरानी रखने संबंधी आरोपों को ख़ारिज किया है. भाजपा ने कहा कि पेगासस से पार्टी या सरकार को जोड़े जाने का एक भी साक्ष्य नहीं है. अमित
पत्रकारों, नेताओं और अन्य की जासूसी किए जाने की द वायर और 16 अन्य मीडिया सहयोगियों के खुलासे पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने कहा कि पत्रकार और मानवाधिकार रक्षक हमारे समाज में एक अनिवार्य भूमिका निभाते हैं और जब उन्हें चुप कराया जाता है, तो हम सभी पीड़ित होते हैं.
पेगासस प्रोजेक्ट: पेगासस स्पायवेयर के इस्तेमाल को लेकर सामने आया लीक डेटा इस बात का पुख़्ता प्रमाण है कि भारत में इस स्पायवेयर का इस्तेमाल एक अज्ञात एजेंसी द्वारा सत्तारूढ़ भाजपा के प्रतिद्वंद्वियों की राजनीतिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है.
वीडियो: द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था. इस मुद्दे पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अपार गुप्ता से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
पेगासस प्रोजेक्ट: 40 से ज़्यादा पत्रकारों, तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं, नरेंद्र मोदी सरकार में दो पदासीन मंत्री, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं सहित 300 से अधिक भारतीयों की इज़राइल के एक सर्विलांस तकनीक से जासूसी कराने की ख़बरों को देश की हिंदी पट्टी के प्रमुख अख़बारों ने या तो छापा नहीं है या इस ख़बर को महत्व नहीं दिया है.
निगरानी के लिए संभावित निशाने पर 'कमेटी फॉर द रिलीज़ ऑफ पॉलिटिकल प्रिज़नर्स' भी थी, जिससे जुड़े शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं के फोन नंबर भी पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये हुए सर्विलांस वाले भारतीय फोन नंबरों की लीक हुई सूची में शामिल हैं.
द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था.
एक अंतरराष्ट्रीय साझा रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट ने यह दिखाया है कि भारत समेत दुनियाभर की कई सरकारें भयावहता की हद तक सर्विलांस के तरीकों का इस्तेमाल इस तरह से कर रही हैं, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है.
मुक़दमे में आरोप लगाया गया है कि गूगल प्ले स्टोर में कुछ ख़ास अनुबंधों और अन्य प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण के ज़रिये गूगल ने एंड्रॉयड उपयोगकर्ताओं को मज़बूत प्रतिस्पर्धा से वंचित कर दिया है. सर्च इंजन कंपनी द्वारा अपने एंड्रॉयड ऐप स्टोर पर नियंत्रण एकाधिकार विरोधी क़ानूनों का उल्लंघन है.
अमेरिका में बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए एंटी-ट्रस्ट क़ानूनों में बड़े बदलाव किए गए हैं, लेकिन भारत में कॉम्पिटीशन कमीशन ने डेटा और डिजिटल कारोबार क्षेत्र में वर्चस्व के दुरुपयोग की बस संभावना जताई है. डिजिटल एकाधिकार के लिए कोई तय नियम न होने से ऐसी कोई घटना होने के बाद कार्रवाई करना कठिन हो सकता है.
पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि हिंसा का सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखने के उसके अनुरोध पर जेएनयू प्रशासन की ओर से अब तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है. वहीं, उसने व्हाट्सऐप को भी लिखित अनुरोध भेजकर उन दो ग्रुप का डेटा सुरक्षित रखने को कहा है जिन पर जेएनयू में हिंसा की साज़िश रची गई थी.
सितंबर 2018 में लखनऊ के गोमतीनगर क्षेत्र में चेकिंग के लिए गाड़ी न रोकने पर कॉन्स्टेबल संदीप कुमार और प्रशांत चौधरी ने एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी पर गोली चलाई थी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी.