मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल क्षेत्र के लहार निर्वाचन क्षेत्र में चुनावों पर संदेह व्यक्त करने वाले पत्रकार के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि लोकतंत्र का लक्ष्य बहुलवादी और सहिष्णु समाज बनाना है. इसे सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए नागरिकों को स्वतंत्र रूप से बोलने में सक्षम होना चाहिए.
एक याचिकाकर्ता ने दिसंबर 2019 में सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी, जिससे गुजरात पुलिस ने इनकार कर दिया. तब उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत उन नियमों को प्रकाशित करने के लिए कहा, जो पुलिस को प्रदर्शन या रैलियां करने की अनुमति देने या अस्वीकार करने का अधिकार देते हैं. हालांकि उनके आवेदन को गुजरात पुलिस द्वारा ख़ारिज कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में निहित मौलिक अधिकारों को लेकर मूल सोच यह है कि इन्हें केवल राज्य के ख़िलाफ़ लागू किया जा सकता है, लेकिन समय के साथ यह बदल गया है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रोहिंग्टन नरीमन ने एक लॉ कॉलेज में हुए कार्यक्रम में कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी सबसे महत्वपूर्ण मानवाधिकार है, पर दुर्भाग्य से आजकल इस देश में युवा, छात्र, कॉमेडियन जैसे कई लोगों द्वारा सरकार की आलोचना करने पर औपनिवेशिक राजद्रोह क़ानून के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है.
वीडियो: क्या कुछ व्यापारों पर सरकार एकाधिकार कर सकती है? क्या शराब का व्यापार, मूल अधिकार माना जा सकता है? क्या कोई व्यक्ति पटाखे बनाने की फैक्ट्री को मूल अधिकार के रूप में मांग कर सकता है? क्या शैक्षणिक संस्थान चलाने वाले व्यापार कर रहे है? इन सभी सवालों पर हमारा संविधान क्या कहता है समझा रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.
वीडियो: अनुच्छेद-19 (1) (ए) अभिव्यक्ति के अधिकार पर आधारित है. हमारा संविधान की इस कड़ी में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल अलग-अलग फ़ैसलों की मदद से अभिव्यक्ति के अधिकार में सम्मिलित अधिकारों के बारे में बता रही हैं.
खेत में सिंचाई के लिए ट्यूबवेलों में बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने यह टिप्पणी की. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़िला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि क्षेत्र के ट्यूबवेलों का रखरखाव के साथ-साथ लगातार बिजली मुहैया कराई जानी चाहिए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिरोध के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है और सरकार के क़ानून व्यवस्था की आलोचना करना कोई अपराध नहीं है.