कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अरुणा रॉय अथक स्वप्नदर्शी कर्मशील हैं. उन्होंने मौलिक नवाचार किया है पर वे जड़ों पर भी जमी रही हैं. उनके संस्मरण में ‘मैं’ बहुत सहजता से ‘हम’ में बदलता रहता है.
इस देश के गांवों में बसने वाले लोगों को साथ लेकर बदलाव की मुहिम शुरू करना और एक बदलाव को सामने ला देना एक बड़ी बात है. अरुणा रॉय ने यह कर दिखाया है.
पांच जनवरी को गुजरात के मुख्य सूचना आयुक्त ने भावनगर ज़िले के स्वास्थ्य विभाग के जन सूचना अधिकारियों को निर्देश जारी कर कहा था कि वे अगले पांच साल तक तीन लोगों, जो कि एक ही परिवार के हैं, से आरटीआई एक्ट के तहत आवेदन या अपील स्वीकार न करें.
प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि इस कानून को लोकसभा में लम्बी बहस और विचार विमर्श के बाद पास किया गया था और मौजूदा सरकार का नया बदलाव सूचना के अधिकार को बेहद कमजोर करने वाला है.
जयपुर साहित्य उत्सव में शामिल हुईं आरटीआई कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि एक सूचना कार्यकर्ता के लिए हालात चिंताजनक हैं क्योंकि किसी तरह की सूचना मांगने को राजद्रोह क़रार दिया जा सकता है.
साठ सेवानिवृत्त अधिकारियों ने एक पत्र में कहा है कि ऐसी धारणा बनाने का आधार बढ़ रहा है कि कैग 2019 के आम चुनाव के पहले नोटबंदी और राफेल सौदे पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट में जान-बूझकर देरी कर रहा है ताकि मौजूदा सरकार की किरकिरी न हो.
सूचना का अधिकार क़ानून के लिए चले आंदोलन का नेतृत्व करने वालीं अरुणा रॉय ने कहा कि अब तक 70 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ता भ्रष्टाचार का खुलासा करने और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करने के बदले में मारे गए हैं.
जन गण मन की बात की 224वीं कड़ी में विनोद दुआ सूचना के अधिकार अधिनियम के सफ़र पर प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय से चर्चा कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के नाम लिखे इस पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने मुसलमानों के साथ होने वाले रोज़मर्रा के भेदभाव की तरफ इशारा किया है.
आरटीआई कार्यकर्ता निखिल डे के अलावा चार अन्य लोगों पर अजमेर के एक गांव के सरपंच ने मारपीट करने का आरोप लगाया था.
सूचना का अधिकार, आधार कार्ड, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य मुद्दों पर सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय और निखिल दे से कृष्णकांत की बातचीत.