वीडियो: बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम,1955 की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता बरक़रार रखी. यह धारा असम में आने वाले अप्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने की कट-ऑफ तय करने से जुड़ी है. इसके प्रभावों को लेकर द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
असम समझौते के तहत नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए जोड़ी गई थी, जिसके तहत प्रावधान है कि 25 मार्च 1971 से पहले असम की सीमा में प्रवेश करने वाले अप्रवासियों को भारतीय नागरिक ही माना जाएगा.
असम समझौते के खंड 6 को लागू करने के लिए 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा जस्टिस बिप्लब कुमार शर्मा समिति का गठन किया गया था. अब असम सरकार ने इस समिति की कुल 67 सिफ़ारिशों में से 52 को लागू करने का फैसला किया है. विपक्ष ने इसे गुमराह करने वाला बताया है.
असम जातीय परिषद के महासचिव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने निहित स्वार्थ को पूरा करने के लिए असम आते हैं, लेकिन अब यह सही समय है कि वह राज्य के लोगों को इस बात का जवाब दें कि असम समझौते के खंड छह को अभी भी लागू क्यों नहीं किया गया है.