10 साल में आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में 44 फीसदी की बढ़ोतरी: एडीआर

चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था एडीआर के अनुसार, 17वीं लोकसभा के लिए चुनकर आए 43 फीसदी सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें सबसे अधिक सांंसद भाजपा के हैं. वहीं, पिछले 10 सालों में करोड़पति सांसदों की संख्या में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

मतदाताओं को राजनीतिक दलों को मिल रहे पैसे का स्रोत जानने का हक़ नहीं: अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल

सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड के ख़िलाफ़ याचिका की सुनवाई पूरी, शुक्रवार को आएगा फ़ैसला. सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि चुनावी बॉन्ड काले धन पर रोक लगाने के लिए एक प्रयोग है और लोकसभा चुनाव तक अदालत को इसमें दख़ल नहीं देना चाहिए.

द वायर बुलेटिन: 83 फीसदी लोकसभा सांसद करोड़पति, 33 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मामले

चाय के कपों पर ‘मैं भी चौकीदार’ लिखे होने के कारण रेलवे पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप समेत आज की बड़ी ख़बरें. दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.

83 फीसदी लोकसभा सांसद करोड़पति, 33 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मामले: एडीआर रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जिन 521 मौजूदा सांसदों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया गया, उनमें 430 (83 प्रतिशत) करोड़पति हैं. उनमें भाजपा से 227, कांग्रेस से 37 और अन्नाद्रमुक से 29 सांसद हैं.'

2014 में दोबारा सांसद बने 153 नेताओं की संपत्ति में 142 फीसदी इज़ाफ़ा, भाजपा के सर्वाधिक नेताः रिपोर्ट

इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के 72 सांसदों की संपत्ति में 7.54 करोड़ रुपये की औसत वृद्धि हुई, जबकि कांग्रेस के 28 सांसदों की संपत्ति में औसतन 6.35 करोड़ रुपये का इज़ाफ़ा हुआ.

क्या चुनाव आयोग के पास पार्टियों को मिलने वाले धन और खर्च का खुलासा करने की शक्ति नहीं है: अदालत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा कि उसके पास राजनीतिक दलों द्वारा किए गए खर्च का खुलासा करने के लिए क्या शक्तियां या विकल्प हैं.

चुनाव आयोग के प्रस्ताव को मंज़ूरी, उम्मीदवारों को घोषित करने होंगे पांच साल के आयकर रिटर्न

आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अनिवार्य रूप से अपने पिछले पांच सालों के आयकर रिटर्न और विदेशी संपत्तियों की जानकारी घोषित करनी होगी.

आरटीआई में खुलासा, राजस्थान में विधायकों के वेतन-भत्तों पर 90.79 करोड़ रुपये ख़र्च

पिछले पांच सालों में राजस्थान के विधायकों के वेतन-भत्तों पर 90.79 करोड़ रुपये ख़र्च किया गया है. वहीं पूर्व विधायकों को मिलने वाली पेंशन राशि लगभग तीन गुना बढ़ गया है.

मध्य प्रदेश में विधायकों के वेतन-भत्तों पर साढ़े पांच साल में 149 करोड़ रुपये ख़र्च: आरटीआई

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में हर एक विधायक की कमाई सूबे की अनुमानित प्रति व्यक्ति आय के मुक़ाबले क़रीब 18 गुना ज़्यादा थी.

क्या देश की राजनीति हमेशा ऐसी ही मूल्यहीनता और लूट-खसोट की पर्याय रही है?

देश में अरबपतियों की तेज़ी से बढ़ती संख्या के बीच आप रोते रहिए कि राजनीति का पतन हो गया है और अब वह समाजसेवा या देशसेवा का ज़रिया नहीं रही, इन बहुमतवालों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि उन्होंने इस स्थिति को सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यता भी दिला दी है.

विधायकों की औसत सालाना आय 24.59 लाख रुपये, कर्नाटक में सबसे ज़्यादा, छत्तीसगढ़ में सबसे कम: एडीआर

देशभर के मौजूदा 4,086 विधायकों में से 3,145 विधायकों ने ही अपने आय का ब्योरा चुनाव आयोग को दिया है. 941 विधायकों ने अपनी आय घोषित नहीं की है.

देश के 32 क्षेत्रीय दलों ने सालभर में कमाए 321 करोड़ रुपये, समाजवादी पार्टी सबसे अमीर: एडीआर

देश में 48 मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल हैं. 16 ने चुनाव आयोग को अपनी ऑडिट रिपोर्ट नहीं सौंपी है. 2016-17 में समाजवादी पार्टी की कमाई 32 दलों की कुल कमाई का 25.78 प्रतिशत है.

चार सालों में विभिन्न दलों को मिले 637.54 करोड़ के चंदे में से 488.94 करोड़ रुपये भाजपा के नाम

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्टोरल ट्रस्ट द्वारा दिए गए कुल चंदे में से 92.30 प्रतिशत यानी 588.44 करोड़ रुपये पांच राष्ट्रीय दलों की जेब में गए हैं. वहीं क्षेत्रीय दलों के खाते में सिर्फ 7.70 प्रतिशत या 49.09 करोड़ रुपये की राशि गई.

क्या अपराधी नेताओं के पक्ष में काम करती है भारत की नौकरशाही?

सवाल है कि क्या हमारे नेता नौकरशाही में अपने समर्थ सहयोगियों की मिलीभगत के बग़ैर ही अकूत काला धन जमा करने और तरह-तरह के अपराध करने में कामयाब हो जाते हैं?