कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, 1 दिसंबर, 2022 तक दुनियाभर के 363 रिपोर्टर/पत्रकार अपने काम के चलते विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा जेल में बंद किए गए हैं. इनमें भारत के सात पत्रकार भी शामिल हैं, जिनमें से तीन एक साल से भी अधिक समय से जेल में हैं.
घटना बेगूसराय ज़िले के बखरी थानाक्षेत्र की है, जहां 20 मई की रात एक वैवाहिक आयोजन से लौट रहे 26 साल के पत्रकार सुभाष कुमार महतो को गोली मार दी गई. उनके परिजनों और दोस्तों का कहना है कि इसकी वजह शराब और बालू माफिया को लेकर की गई रिपोर्टिंग है. वहीं, पुलिस ने इस बात से इनकार किया है.
हरिद्वार धर्म संसद में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा का आह्वान करने के मामले में ज़मानत पर रिहा हुए कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद ने कहा कि गणितीय गणना कहती है कि 2029 तक एक ग़ैर-हिंदू प्रधानमंत्री बन जाएगा. बीते दिनों बुराड़ी हिंदू महापंचायत कार्यक्रम के दौरान मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण देने के आरोप में उन पर केस दर्ज किया गया है.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने दिल्ली के बुराड़ी में हुए ‘हिंदू महापंचायत’ कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों पर हुए कथित हमले और उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में 12वीं कक्षा की परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले में तीन पत्रकारों की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए कहा कि हाल के दिनों में मीडियाकर्मियों पर सिलसिलेवार हमलों के मद्देनज़र यह कहा जा सकता है कि ये लोग प्रेस को पूरी तरह से बंद करने पर तुले हुए हैं.
वीडियो: राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में बीते तीन अप्रैल को आयोजित हिंदू महापंचायत के दौरान दक्षिणपंथी भीड़ ने चार मुस्लिम पत्रकारों समेत पांच पत्रकारों पर कथित रूप से हमला कर दिया था. इन पत्रकारों में शामिल अरबाब अली से द वायर की सुमेधा पाल ने बातचीत की.
राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में बीते तीन अप्रैल को आयोजित हिंदू महापंचायत के संबंध में दर्ज की गई यह चौथी एफ़आईआर है. अब तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है. बुराड़ी में पुलिस की अनुमति के बिना आयोजित इस कार्यक्रम में कथित रूप से मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण के लिए यति नरसिंहानंद और अन्य वक्ताओं के ख़िलाफ़ भी मामला दर्ज किया गया है.
दिल्ली के बुराड़ी में रविवार को हुई हिंदू महापंचायत में यति नरसिंहानद ने अपनी ज़मानत शर्तों का उल्लंघन करते हुए मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण दिए हैं. उन पर केस दर्ज किया गया है. कार्यक्रम के आयोजक प्रीत सिंह और पिंकी चौधरी को अगस्त 2021 में जंतर मंतर पर एक कार्यक्रम में नफ़रती भाषण देने के आरोप में पहले गिरफ्तार किया गया था. इस कार्यक्रम में भी मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा का आह्वान करते हुए नारेबाज़ी की गई थी.
राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में बीते रविवार को ‘हिंदू महापंचायत’ का आयोजन ‘सेव इंडिया फाउंडेशन’ द्वारा किया गया था, जिसका संचालन यति नरसिंहानंद के एक समर्थक प्रीत सिंह करते हैं. आयोजन में नरसिंहानंद भी शामिल हुए थे. कार्यक्रम में उन्होंने मुस्लिमों पर निशाना साधते हुए हिंदुओं से हथियार उठाने आह्वान किया.
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक़, एक दिसंबर 2021 तक दुनियाभर में 293 पत्रकार अपने काम के लिए विभिन्न देशों की जेलों में बंद थे. यह लगातार छठा साल रहा, जब ढाई सौ से अधिक पत्रकार जेल में बंद रहे.
भारतीय प्रेस परिषद ने जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती द्वारा इस मामले को लेकर लिखे गए एक पत्र के बाद ये कदम उठाया है. मुफ़्ती ने कहा था कि पत्रकारों का बेवजह उत्पीड़न करना एक नियम बन गया है. उनके घरों पर छापा मारकर, उन्हें तलब करके और बेहूदा ट्वीट्स जैसे तुच्छ आधारों पर पूछताछ करके, सीआईडी द्वारा पत्रकारों और उनके परिवार के सदस्यों की पृष्ठभूमि की जांच करके, उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि लोगों को उम्मीद थी कि भारतीय प्रेस परिषद इन मामलों पर संज्ञान लेगा, लेकिन ऐसा लगता है कि अदालतों सहित किसी भी निगरानी संस्था की जम्मू कश्मीर में पैदा हुई दर्दनाक परिस्थितियों में कोई दिलचस्पी नहीं है.
चार बार त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे माकपा नेता माणिक सरकार ने कहा है कि राज्य में भाजपा सभी 'लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और अमन पसंद नागरिकों' पर हमले कर रही है. सरकार ने यह आरोप भी लगाया कि वाम मोर्चे के 16 विधायकों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में जाने से रोका जा रहा है.
बुधवार को त्रिपुरा में भाजपा और माकपा कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष के दौरान दो अख़बारों और दो टीवी चैनलों के दफ़्तरों में तोड़फोड़ की गई. तीन ज़िलों में दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में हुई झड़पों में कम से कम दस घायल हो गए, दो पार्टी कार्यालय जल गए, कई अन्य में तोड़फोड़ की गई और छह वाहनों में आग लगा दी गई.
जम्मू कश्मीर के अनंतनाग ज़िले की घटना. स्वतंत्र पत्रकार आकाश हसन का कहना है कि उन्हें उनके पत्रकार होने की वजह से निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा कि आरोपी पुलिसकर्मियों को दंडित किया जाना चाहिए, ताकि वह दोबारा ऐसा नहीं करें. पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने इस हमले को अस्वीकार्य और शर्मनाक बताते हुए कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार से पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.
बीते दिनों उन्नाव में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा एक पत्रकार को पीटने का वीडियो सामने आया था. गिल्ड ने कहा है कि भले ही सीडीओ ने माफ़ी मांग ली है, लेकिन प्रशासन का मनमाना रवैया मीडिया के लोकतांत्रिक अधिकारों को नुकसान पहुंचा रहा है. प्रदेश में पत्रकारिता के माहौल में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.