एक कार्यक्रम में ‘केजीएफ’ फिल्म के अभिनेता यश ने कहा कि 10 साल पहले दक्षिण की डब फिल्में उत्तर भारत में लोकप्रिय हुईं, लेकिन लोग इनका मज़ाक उड़ाते थे. ख़राब गुणवत्ता वाली डबिंग की जाती थी और इन्हें मज़ाकिया नामों से बुरी तरीके से पेश किया जाता था. इस तरह इसकी शुरुआत हुई और आख़िरकार लोग उसी से जुड़ गए.
साल 1989 का एक वाकया सुनाते हुए तेलुगू अभिनेता चिरंजीवी ने बताया कि उनकी फिल्म ‘रुद्रवीणी’ को नरगिस दत्त सम्मान देने के लिए दिल्ली बुलाया गया था. उन्होंने कहा कि इससे पहले हुए एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय सिनेमा के इतिहास को चित्रित करने वाली एक दीवार पर हिंदी सिनेमा की जानकारी भरी हुई थी, लेकिन दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग के बारे में बहुत ही कम जानकारी दी गई थी.