इस समय इरादा मुसलमानों से जुड़ी हर जगह को संदिग्ध बनाने का है. उसका तरीक़ा है उन्हें विवादित बनाना. एक बार कुछ भी विवादित हो जाए तो उसमें दूसरा पक्ष जायज़ हो जाता है, जैसे बाबरी मस्जिद को विवादित बनाकर अब संघ के संगठन एक जायज़ पक्षकार बन बैठे हैं.
आज की मास्टरक्लास में अपूर्वानंद द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के साथ बाबरी मस्जिद और इसके विवादित स्थल पर मंदिर बनाए जाने के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
नई याचिका में दलील दी गई है कि संसद राज्य की भूमि का अधिग्रहण करने के लिए क़ानून बनाने में सक्षम नहीं है. राज्य की सीमा के भीतर धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के लिए क़ानून बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल के पास है.
केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग किया है कि अयोध्या में विवादित ज़मीन के आसपास जो 67 एकड़ अविवादित ज़मीन है उससे कोर्ट यथास्थिति हटा ले और यह हिस्सा उसके मूल मालिक को वापस कर दे.
अयोध्या में विवादित स्थल के बारे में एक नई रिट याचिका में केंद्र सरकार ने कहा कि शीर्ष अदालत विवादित स्थल के आस-पास अधिग्रहित की गई अविवादित ज़मीन पर से यथास्थिति बरक़रार रखने का आदेश हटा ले, जिससे वह हिस्सा उसके मूल मालिकों को वापस किया जा सके.
भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर की संविधान पीठ ने 29 जनवरी को सुनवाई के लिए ये मामला उठाने का फैसला किया था.
डॉ. केके मुहम्मद ने मलयालम में लिखी अपनी आत्मकथा 'जानएन्ना भारतीयन' में दावा किया है कि अयोध्या में 1976-77 में हुई खुदाई के दौरान मंदिर होने के प्रमाण मिले थे.
उच्चतम न्यायालय रजिस्ट्री ने नोटिस में कहा कि अयोध्या विवाद मामला गुरुवार को संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा. पीठ में सीजेआई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एसए नजीर होंगे.
अपनी किताब ‘अयोध्या - सिटी ऑफ फेथ, सिटी ऑफ डिस्कॉर्ड’ में पत्रकार वलय सिंह ने बताया है कि अयोध्या को सिर्फ़ मंदिर-मस्जिद के विवाद के रूप में देखना इसके बहुपक्षीय एवं बहुधार्मिक इतिहास का अपमान करने जैसा है.
वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि जस्टिस यूयू ललित ने वकील रहते बाबरी मस्जिद से संबंधित एक अवमानना मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की ओर से पैरवी की थी. इसके बाद जस्टिस ललित ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया.
अगला आदेश तीन जजों की एक उपयुक्त पीठ द्वारा पारित किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की समयबद्ध सुनवाई की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी.
उत्तर प्रदेश में घोसी से भाजपा सांसद हरिनरायन राजभर ने अयोध्या के ज़िलाधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि राम टेंट में विराजमान हैं, जबकि भारत सरकार बेघरों को घर उपलब्ध कराने के लिए कृत संकल्पित है.
उत्तर प्रदेश बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक ज़फरयाब जिलानी ने बताया कि वे अदालती कार्यवाही से संतुष्ट हैं, लेकिन अगर मोदी सरकार मंदिर बनाने पर कोई अध्यादेश या क़ानून लाती है, तो उसे चुनौती दी जाएगी.
फैज़ाबाद से निकलने वाले हिन्दी दैनिक जनमोर्चा के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह की किताब ‘अयोध्या- रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद का सच’ बताती है कि अयोध्या विवाद में सारी पेचीदगियां राजनीति द्वारा अपनी स्वार्थ साधना के लिए इस मुद्दे के बेजा इस्तेमाल से पैदा हुई हैं.
हिंदू पक्ष के छह दावेदारों में से दो अयोध्या स्थित विवादित स्थल पर विराजमान रामलला के विरुद्ध ही अदालत गए हैं.