न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने मोदी सरकार के एजेंडा के चलते कोविड-19 के ख़तरे को कम दर्शाने के लिए वैज्ञानिकों पर दबाव डाला. अख़बार ने ऐसे कई सबूत दिए हैं, जो दिखाते हैं कि परिषद ने विज्ञान और साक्ष्यों की तुलना में सरकार के राजनीतिक उद्देश्यों को प्राथमिकता दी.
मीडिया में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कोविड-19 की व्यापकता का अनुमान लगाने के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय सीरो-प्रीवलेंस सर्वेक्षण के शोधकर्ताओं से 11 मई और 4 जून के बीच 10 शहरों के हॉटस्पॉट से एकत्र किए गए डेटा को शोध-पत्र से हटाने के लिए कहा था.
देश के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट डॉ. शाहिद जमील का कहना है कि भारत में सात दिनों में कोरोना वायरस संक्रमण के औसतन 93,000 मामले प्रतिदिन बढ़ रहे हैं. अमेरिका यह दर 39,000 मामले प्रतिदिन की है. भारत आगामी तीन से चार हफ्ते में अमेरिका से आगे निकल जाएगा.