संसद की प्राक्कलन समिति को भेजे पत्र में आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने उन तरीक़ों के बारे में बताया है जिनके ज़रिये बेईमान बिज़नेस घरानों को सरकार और बैंकिंग व्यवस्था से घोटाला करने की खुली छूट मिली.
भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, मार्च 2017 तक लोन न चुकाने का मार्जिन 8,249 करोड़ था जो मार्च 2018 तक बढ़कर 16,111 करोड़ रुपये हो गया.
जन गण मन की बात की 298वीं कड़ी में विनोद दुआ नोटबंदी पर आई हालिया रिपोर्ट पर नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 297वीं कड़ी में विनोद दुआ रिज़र्व बैंक द्वारा नोटबंदी पर दी गई वार्षिक रिपोर्ट पर चर्चा कर रहे हैं.
रिजर्व बैंक के दावे के उलट एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि 2000 और 500 के नए नोट आने के बावजूद नकली नोटों में इजाफा हो सकता है.
जन गण मन की बात की 296वीं कड़ी में विनोद दुआ नोटबंदी पर आरबीआई की हालिया रिपोर्ट और भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं पर चर्चा कर रहे हैं.
भारतीय रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट आई है कि नोटबंदी के वक्त 15.41 लाख करोड़ सर्कुलेशन में था, जिसमें से 15.31 लाख करोड़ वापस आ गया है. यानी व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी का यह दावा कि नोटबंदी से ब्लैक मनी नष्ट हो जाएगा, बोगस निकल गया है.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आरबीआई की रिपोर्ट से फिर साबित हो गया कि नोटबंदी व्यापक स्तर की ‘मोदी मेड डिजास्टर’ थी.
नोटबंदी के समय 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं.
लघु एवं मझोले उद्यमों यानी एमएसएमई को देश की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण इंजन माना जाता है और देश के कुल निर्यात में इसका 40 फीसदी योगदान है.
महाराष्ट्र के अमरावती ज़िले में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की एक शाखा के बैंक प्रबंधक ने किसान की क़र्ज़ प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए यह मांग रखी. पुलिस ने उसे और उसके सहयोगी चपरासी को गिरफ़्तार कर लिया है.
सूचना के अधिकार के तहत रिज़र्व बैंक ने बताया कि लौटाए गए नोटों की अंकगणितीय सटीकता और वास्तविकता की पहचान की जा रही है. इसलिए इस संबंध में मिलान एवं गणना की प्रक्रिया के पूरे होने पर ही जानकारी साझा की जा सकती है.
आधार क़ानून को एक धन-विधेयक के तौर पर पारित किया गया था और इसका संबंध सिर्फ़ भारत की संचित निधि से जुड़ी चीज़ों से होना चाहिए. लेकिन, क्या कोई व्यवस्था के भीतर इस बात पर ध्यान देता है?
नीति आयोग के सीईओ ने यह भी कहा कि आने वाले 3 सालों में देश में एक अरब से ज्यादा स्मार्टफोन उपभोक्ता होंगे, जिससे डाटा के जरिये वित्तीय भागीदारी बढ़ेगी.
फाइनेंशियल रिज़ोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस एक्ट (एफआरडीआई) फिलहाल संसद की स्थायी समिति में विचाराधीन है.